पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने, प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने से इंकार करने पर कोर्ट के अवमानना के आरोपों में अभियोग लगाया. इससे गिलानी को अपने पद से इस्तीफा देने की नौबत आ सकती है.
59 वर्षीय गिलानी पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का अभियोग लगाया है. गिलानी ने हालांकि खचाखच भरे अदालत कक्ष में खुद को बेकसूर बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 27 फरवरी तक स्थगित कर दी.
सुनवाई शुरू होने पर, सात न्यायाधीशों की पीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति नासिर उल मुल्क ने आरोप पत्र पढ़ा और प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या वह खुद पर लगाए गए आरोपों के बारे में जानते हैं और उन्हें समझते हैं.
इस पर गिलानी ने जवाब दिया, ‘हां, मैंने आरोपपत्र पढ़ा है और उसे समझा है.’
प्रधानमंत्री अपनी सफेद एसयूवी चला कर अपने आधिकारिक आवास से कुछ ही दूरी पर स्थित सुप्रीम कोर्ट गए. उनके साथ कई वकील थे. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह गिलानी की उन्हें अवमानना मामले के सिलसिले में जारी किए गए समन के विरोध में दाखिल अपील खारिज कर दी थी.
प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट उन्हें दोषी ठहराता है तो एक सांसद के तौर पर वह स्वत: ही संसद की सदस्यता के अयोग्य हो जाएंगे.
सोमवार सुबह प्रधानमंत्री का काफिला सीधे अदालत के बाहर सड़क पर रूका. गिलानी ने परिसर के बाहर खड़ी भीड़ की ओर देख कर हाथ हिलाया. वहां बड़ी संख्या में सशस्त्र सुरक्षा बल तैनात थे.
अवमानना मामले में गिलानी दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और सुरक्षा के विशेष इंतजाम के तहत हवाई निगरानी के लिए एक हेलीकॉप्टर भी तैनात किया गया था.
गिलानी इससे पहले 19 जनवरी को अवमानना मामले की सुनवाई में पीठ के समक्ष पेश हुए थे. उनके साथ तब उनके वकील ऐतजाज एहसन थे. सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ऐतजाज एहसन देश के अग्रणी विधि विशेषज्ञों में से एक हैं.