बम्बई उच्च न्यायालय ने पेट्रोल मूल्य वृद्धि के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र, पेट्रोलियम मंत्रालय और वित्त सचिव को नोटिस जारी किए.
याचिका में दावा किया गया है कि पेट्रोल की हाल में बढ़ाई गई कीमत ‘अवैध’ है क्योंकि इसमे संसद की मंजूरी नहीं है और यह संविधान से ‘परे’ है.
न्यायमूर्ति आरवाई गानू और न्यायमूर्ति एनएम जामदर की पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए जिनमें केंद्रीय मंत्रालयों के अतिरिक्त तेल विपणन कंपनियां, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड शामिल हैं. पीठ ने मामले की सुनवाई 30 मई तक के लिए स्थगित कर दी.
जनहित याचिका ‘धर्मराज्य पक्ष’ के महासचिव राजेंद्र फंसे ने दायर की. उन्होंने इसमें कहा कि ससंद का बजट सत्र समाप्त होने के बाद 23 मई की अर्धरात्रि पेट्रोल के दाम ‘मनमाने’ ढंग से बढ़ाए गए.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पेट्रोल मूल्यवृद्धि ‘पूरी तरह अवैध’ है क्योंकि इसे संसद की मंजूरी नहीं है.