सुप्रीम कोर्ट ने राजेश तलवार को राहत देते हुए उनकी जमानत बरकरार रखी है. अब उनकी जमानत 4 फरवरी तक बरकरार रहेगी. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि तलवार दंपत्ति 4 फरवरी को निचली अदालत के सामने पेश होगी.
आरूषि हत्याकांड मामले के आरोपी राजेश तलवार के खिलाफ जमानती वारंट पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की.
तीन साल से कोर्ट के चक्करों में फंसा आरूषि हत्याकांड में कुछ दिनों पहले ही एक अहम मोड़ आया जब सुप्रीम कोर्ट ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार के खिलाफ केस चलाने के लिए हरी झंडी दी. दरअसल शुरुआती जांच के दौरान राजेश तलवार को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था लेकिन सीबीआई के जमानत का विरोध न करने पर जमानत पर रिहा भी कर दिया.
मामले में में ट्विस्ट सीबीआई की दिसंबर 2010 की क्लोजर रिपोर्ट के बाद आया और केस बंद होने की बजाय फिर से खुल गया.
निचली अदालत ने इसे तलवार दंपत्ति पर मुकदमा चलाये जाने के लिए काफी माना और राजेश तलवार के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया. राजेश तलवार के मुताबिक वो पहले ही जमानत पर थे और जरूरी मुचलके भी भर चुके थे फिर जमानती वारंट क्यों? सीबीआई के मुताबिक तलवार ने खुद निचली अदालत में जमानत के लिए जरूरी औपचारिकताएं अब पूरी कर ली है लिहाजा अब इस अर्जी में कोई दम नहीं और ये सिर्फ मामले को और उलझाने की कोशिश है.
न्यायमूर्ति एके गांगुली और न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने आपराधिक कार्यवाही खत्म करने की तलवार दंपति की अर्जी को खारिज कर कहा था कि वे इस हत्याकांड में अंतरिम जमानत पर सुनवाई करेंगे.
गौरतलब है कि 15-16 मई 2008 की रात नोएडा स्थित उनके आवास पर तलवार दंपति की एक मात्र संतान आरूषि (14) मृत हालत में मिली थी. उसकी गला रेत कर हत्या कर दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने ने 6 जनवरी को दंत चिकित्सक दंपति से नौवीं कक्षा की छात्रा और हेमराज की हत्या के मामले में मुकदमे का सामना करने को कहा था.
पीठ ने कहा था कि उनके (तलवार दंपति) खिलाफ संज्ञान लेने के गाजियाबाद के मजिस्ट्रेट के आदेश में और उन पर मुकदमा चलाए जाने में कुछ भी गलत नहीं था क्योंकि निचली अदालत के न्यायाधीश ने सोच विचार कर आदेश जारी किया था.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले की शुरुआत में जांच की और 23 मई 2008 को आरूषि के पिता को गिरफ्तार कर लिया.
बाद में, मामले की जांच 29 मई 2009 को सीबीआई को सौंप दी गई और राजेश को 11 जुलाई 2008 को गाजियाबाद की अदालत से जमानत मिल गई.
सीबीआई ने ढाई साल से भी अधिक समय तक इस मामले की जांच करने के बाद गाजियाबाद विशेष सीबीआई अदालत में मामले को बंद करने की रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि वह तलवार दंपति को अभियोजित करने के लिए कोई भी सबूत हासिल करने में अक्षम रही है.
हालांकि, निचली अदालत ने मामले को बंद करने की सीबीआई की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि इस दोहरे हत्याकांड में दंपत्ति की कथित संलिप्तता को लेकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए एजेंसी की रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री है.
मजिस्ट्रेट ने इस मामले में संज्ञान लिया और नौ फरवरी 2011 को तलवार दंपती को समन जारी किया.
इसके बाद राजेश और नुपूर (आरूषि के माता पिता) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने निचली अदालत के समन और उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को खारिज करने से इनकार कर दिया.
तलवार दंपति ने फिर शीर्ष न्यायालय का रूख किया जिसने पिछले साल 19 मार्च उनके खिलाफ सुनवाई पर रोक लगा दी लेकिन इसे शुक्रवार हटा लिया गया.