हर ओर से मुसीबतों के मकड़जाल में फंसी किंगफिशर एयरलाइंस समस्याओं से निजात पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. जानकारी के मुताबिक, एसबीआई किंगफिशर को संकट से उबारने को तैयार है.
यह एक बड़ा सवाल है कि आर्थिक संकट में फंसे किंगफिशर को उबारने के लिए क्या सरकार बैकडोर से मदद करने की कोशिश कर रही है?
हमारे सहयोगी अखबार मेल टुडे के मुताबिक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया किंगफिशर को 1500 करोड़ रुपए देगा. पहले 700 करोड़ रुपए की खेप वर्किंग कैपिटल के तौर पर मिलेगी, जिससे तनख्वाह और टैक्स बकाया चुकाया जाएगा. 500 करोड़ रूपए बैंक गारंटी के तौर पर दिए जाएंगे.
इसके अलावा 200 करोड़ रुपए कर्ज चुकाने के लिए दिए जाएंगे. 150 करोड़ रुपए आयकर विभाग के लिए गारंटी के तौर पर दिए जाएंगे. वैसे एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चतुर्वेदी ने इस खबर पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने न तो इस खबर की पुष्टि की और न ही इसका खंडन किया.
किंगफिशर संकट के पांचवें दिन भी यात्रियों को कोई बड़ी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. बुधवार सुबह से अबतक मुंबई में 4 और बैंगलोर में 2 उड़ानें रद्द हो चुकी हैं.
एक दिन पहले ही डीजीसीए ने किंगफिशर को नया शेड्यूल पेश करने के लिए कहा है. मंगलवार की बैठक में डीजीसीए ने साफ कहा था कि यात्रियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए और अगर उड़ानें रद्द होती हैं, लोगों की इसकी सूचना पहले से दी जानी चाहिए.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने संकटग्रस्त विमानन कम्पनी किंगफिशर को बुधवार तक संशोधित उड़ान योजना पेश करने का निर्देश दिया है.
किंगफिशर एयरलाइंस के विमानों के रद्द होने से बुधवार को पांचवें दिन भी यात्रियों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मंगलवार को विमानन कम्पनी ने 64 में से 28 विमानों का संचालन किया. महानिदेशालय ने कम्पनी के विमानों में सुरक्षा व्यवस्था की जांच का भी निर्देश दिया है.
नागरिक उड्डयन महानिदेशक ईके भारत भूषण ने विमानन कम्पनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय अग्रवाल से मुलाकात की और कम्पनी से उड़ान रद्द किए जाने पर स्पष्टीकरण लिया. अग्रवाल से मुलाकात के बाद भूषण ने संवाददाताओं से कहा, 'हम ग्राहकों की परेशानी नहीं चाहते हैं. हमने कल (बुधवार) तक उनसे संशोधित उड़ान योजना पेश करने के लिए कहा है.'
विमानन कम्पनी ने दूसरी बार अचानक अपनी उड़ानों की संख्या घटाई है. कम्पनी ने कठिन स्थिति का हवाला देते हुए नवम्बर में उड़ानों की संख्या अचानक घटा दी थी. नवम्बर से मार्च की शीत अवधि में कम्पनी ने 64 विमानों के साथ 400 उड़ानों की अनुमति के लिए आवेदन किया था.
महानिदेशालय ने कहा, 'हमने पता लगाया है कि कम्पनी के 64 में से 28 विमान ही सक्रिय हैं.' महानिदेशालय के अनुमान के मुताबिक 28 विमानों के साथ कम्पनी हर सप्ताह लगभग 175 उड़ानें ही संचालित कर सकती है. नियामक ने हालांकि इस वक्त किसी भी दंडात्मक कार्रवाई की बात से इंकार किया.
केंद्रीय नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने मंगलवार को कहा कि सरकार विमानन कम्पनी के लिए बैंक ऋण की वकालत नहीं कर सकती. सिंह ने यहां पत्रकारों से कहा, 'डीजीसीए ने यात्रियों को सूचित नहीं किए जाने के कारण स्पष्टीकरण की मांग की है. उड़ानें रद्द किए जाने के बारे में खुद डीजीसीए को भी सूचित नहीं किया गया. यह नियमों के खिलाफ है और इसके कारण यात्रियों को परेशानी हुई.'
अजित सिंह ने कहा कि किंगफिशर की बातों को सुनना जरूरी है और यह जानना होगा कि संकट से निकलने के लिए उसने क्या योजना बनाई है. सिंह ने कहा, 'हमें किंगफिशर की बातों को सुनना होगा. जब कभी भी बड़ी कम्पनी बंद होती है तो इससे लोग प्रभावित होते हैं लेकिन आप इस बारे में आश्वस्त रहिए कि हम ऐसी वकालत नहीं करने जा रहे हैं कि बीमार कम्पनियों को बैंकों को ऋण मुहैया कराना चाहिए.'
विमानन कम्पनी ने हालांकि कहा कि रद्द की गई उड़ानों को दोबारा शुरू कर दिया जाएगा. अग्रवाल ने कहा, 'पिछले कुछ दिनों में रद्द हुई अधिकतर उड़ानें अगले चार से पांच दिनों में वापस शुरू हो जाएंगी.'