प्रख्यात पहलवान व अभिनेता दारा सिंह का गुरुवार को निधन हो गया. वह काफी दिनों से बीमार थे और मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती थे. दारा सिंह के बेटे विंदू दारा सिंह ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि सुबह 7.30 बजे दारा सिंह ने अपनी अंतिम सांसे लीं.
दारा को कुश्ती के लिए 'रुस्तम-ए-हिंद' का खिताब मिला था. उन्होंने 1952 में फिल्म 'संगदिल' से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा था. उन्होंने 'वतन से दूर', 'रुस्तम-ए-बगदाद', 'शेर दिल', 'सिकंदर-ए-आजम', 'राका', 'मेरा नाम जोकर', 'धरम करम' और 'मर्द' सहित कई अन्य फिल्मों में अभिनय किया. उन्होंने अंतिम बार 2007 में आई 'जब वी मेट' में अभिनय किया था. उन्होंने टीवी धारावाहिकों में भी अभिनय किया. 'रामायण' में निभाई उनकी हनुमान की भूमिका ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई थी.
बुधवार रात को डॉक्टरों की कोशिशें नाकाम रहने के बाद उनके परिवार वाले उन्हें घर ले गए थे. टेलीविजन के पर्दे पर हनुमान के किरदार को जीवंत करने वाले दारा सिंह अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे. बुधवार को ही वेंटिलेटर हटा दिया गया था और आखिरी वक्त में दारा सिंह को घर ले जाया गया ताकि अंतिम क्षणों में परिवार साथ रहें.
मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल के डॉक्टरों ने बुधवार सुबह ही जवाब दे दिया था. डॉक्टरों ने कह दिया था कि अब चमत्कार ही बचा सकता है दारा सिंह को. डॉक्टरों के मुताबिक दारा सिंह के मस्तिष्क में खून की सप्लाई नहीं हो पा रही, जिससे ब्रेन में ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा. ऐसे में उनके होश में आने की संभावना बहुत कमजोर पड़ गई है. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.
डॉक्टरों का कहना था कि दवाइयां बंद होते ही वो कोमा में जा सकते हैं. 84 साल के दारा सिंह को सात जुलाई को दिल का दौरा पड़ने के बाद मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब से वो आईसीयू में भर्ती थे.
दारा सिंह को अपनी लाइलाज़ बीमारी का एहसास पहले ही हो गया था. शायद इसीलिए वो अस्पताल में भर्ती होने के लिए भी तैयार नहीं हो रहे थे. रील लाइफ में दारा सिंह ताकत के प्रतीक थे. चाहे 'फौलाद' और 'किंगकांग' जैसी फिल्में हों या फिर टेलीविजन सीरियल रामायण. हर जगह दारा सिंह मुश्किलों को शिकस्त देते नजर आए.