scorecardresearch
 

फर्राटा मोटरसाइकिलें: रफ्तार की जानलेवा मशीनें

सुपरबाइकें नौजवानों में रफ्तार का नया और घातक जुनून पैदा कर रही हैं. यह ऐसी उप-संस्कृति को जन्म दे रही हैं, जो रोमांचित तो करती है, लेकिन जान भी ले लेती है.

Advertisement
X
सुपरबाइक
सुपरबाइक

यह हैदराबाद के बाहरी रिंग रोड का कंक्रीट वाला भाग है. सुबह के तीन बजे हैं और चमड़े की काली पोशाकों में हेलमेट पहने कुछ नौजवान अपनी बाइकों पर सवार होकर हवा से बातें कर रहे हैं. उनमें से एक अपनी बाइक को एक पहिए पर चला रहा है, तो दूसरा 200 किमी की गति से आगे निकल रहा है.

Advertisement

हायाबुसास से लेकर बैंडिट्स नाम वाली ये चमकती दैत्याकार मोटरसाइकिलें, कई तो गैर-कानूनी ढंग से आयातित हैं, धनकुबेरों की नई पसंद हैं. ये जानलेवा साबित हो सकती हैं. इस साल 16 सितंबर को एक 16 वर्षीय किशोर ने मुंबई में अपनी 68 वर्षीया दादी सरला पटेल को लूटकर इसलिए उनकी हत्या कर दी, क्योंकि उसे सुपरबाइक खरीदने के लिए पैसों की जरूरत थी. उसी दिन भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे अजहरुद्दीन के सबसे छोटे बेटे, 19 वर्षीय अयाजुद्दीन ने पांच दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद दम तोड़ दिया.

बताते हैं कि वह हैदराबाद के बाहरी रिंग रोड पर 200 किमी प्रति घंटा की गति से अपनी नई सुजुकी जीएसएक्स आर1000 चला रहा था कि नियंत्रण खो बैठा और सड़क के बीच डिवाइडर से टकरा गया. पिछले साल पुराने तेलुगु फिल्म स्टार कोटा श्रीनिवास राव के 39 वर्षीय बेटे वेंकट साईं प्रसाद भी अपनी यामाहा आर1000 चलाते हुए एक टेंपो से टकराकर चल बसे थे.

Advertisement

गति सीमा का उल्लंघन गैर-कानूनी है. ज्‍यादातर सड़कों पर गति सीमा 80 किमी प्रति घंटा है. इसके बावजूद लोग कई बार शराब और मादक दवाओं के नशे में 150 किमी प्रति घंटा की गति से आनंद उठाते हैं. बकौल एक बाइकर, ''1000 सीसी की सुपरफास्ट इंजन वाली बाइक की सवारी, जो 10-15 सेकंड में 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार छू लेती है, हमें जैसे आसमान पर पहुंचा देती है.''

देश भर में युवा बाइकरों ने छोटे-छोटे समूह बना लिए हैं, जो आधी रात के बाद या पौ फटने से पहले, जब पुलिस की नजर में आने का न्यूनतम अंदेशा होता है, दौड़ का आयोजन करते हैं. इन समूहों में कुछ ऐसे सहायक भी होते हैं, जो ऐसी बाइक खरीदने की हैसियत नहीं रखते. इन प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए कई बार 1 लाख रु. या इससे अधिक का प्रवेश शुल्क रखा जाता है. विजेता बतौर पुरस्कार राशि जुटाई कुल राशि का आधा हिस्सा ले जाता है. जो इतनी होती है कि उससे एक नई बाइक खरीदी जा सके.

हैदराबाद में पिछले पांच साल में सुपर बाइकों के प्रति आकर्षण बढ़ा है. यहां 350 से अधिक उच्च शक्ति वाली बाइकों के कोई 60 मालिक ज्‍यादातर सप्ताहांत में सड़कों पर होते हैं. एनटीआर जूनियर और रामचरण तेजा सरीखे युवा अभिनेता हर्ले डेविडसंस की बाइक लाते हैं. फिल्मी दिग्गजों, व्यापारियों और राजनीतिकों से जुड़े जाने-माने परिवारों के बच्चे, जो बाइक पर 5.5 लाख रु. से लेकर 35 लाख रु. तक खर्चने की हैसियत रखते हैं, ऐसे समूह बनाते हैं. वे जबरदस्त रफ्तार से बाइकों पर करतब दिखाते हैं, जिनका नतीजा कई बार खतरनाक होता है.

Advertisement

कुछ धुरंधर सुपरबाइकरों का कहना है कि नौसिखुए बाइकर रफ्तार और शक्ति के खतरनाक मेल पर काबू नहीं रख पाते और दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. हर सुपरबाइक के पहियों के बीच एक छोटी कार का इंजन लगा होता है, जो पहले गियर में कुछ सेकंड में 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेता है. नियंत्रण खो देना खतरनाक हो सकता है. जान बचने की संभावना बहुत कम इसलिए होती है कि बाइकर पहचाने जाने के डर से हेलमेट और चमड़े का सूट पहनने जैसे सुरक्षित उपाय नहीं करते.

ग्रुप ऑफ दिल्ली सुपरबाइकर्स के संस्थापक डॉ. अरुण थरेजा कहते हैं, ''हमें ऐसे नौजवानों के कई फोन आते हैं, जो हमारे ग्रुप का सदस्य बनना चाहते हैं, पर उनमें से ज्‍यादार दिखावटी किस्म के होते हैं, इसलिए हमें उन्हें मना कर देते हैं.'' 1999 में 50 सुपरबाइकरों को लेकर इस ग्रुप का गठन करने वाले थरेजा नौसिखुए बच्चों के हाथों में उच्च शक्ति वाली बाइकें थमाने के लिए उनके माता-पिता को जिम्मेदार मानते हैं. उनका कहना है कि सुपरबाइक के विशेष लाइसेंस के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष तय की जानी चाहिए.

देश में आज कम-से-कम 3,000 सुपरबाइक हैं. राजस्व गुप्तचर निदेशालय (डीआरआइ) के सूत्रों के मुताबिक लगभग इतनी ही गैर-कानूनी बाइक हैं. मसलन, अयाजुद्दीन की सुपरबाइक हैदराबाद के जूता व्यापारी सैयद अतहर अली के नाम पर पंजीकृत थी. यह बाइक पिछले साल जुलाई में नई दिल्ली के लाजपतनगर में बिट्टू बाइकवाला ने जापान से 5.27 लाख रु. में आयात की थी और इस पर 88 प्रतिशत कर चुकाया गया था.

Advertisement

जांच की जा रही है कि अजहर ने यह बाइक अली के नाम से क्यों मंगाई. डीआरआइ अधिकारियों के मुताबिक, आयातक अक्सर इन बाइकों की कीमत कम दिखाते हैं और आयात के फर्जी कागजात बनवाते हैं, जिनका इस्तेमाल बाद में बाइक को पंजीकृत कराने के लिए किया जाता है. इन्हें गैर-कानूनी ढंग से पाना आसान है.

बाइक के पुजोर्ं पर सीमा शुल्क 24 प्रतिशत है, जबकि नई बाइक पर 105 प्रतिशत. सो अक्सर लोग खुलवाई गई बाइकें पुर्जों के रूप में तस्करी कर लाते हैं, जिन्हें कुशल मैकेनिकों की सहायता से जोड़ लिया जाता है. बाइकरों के अनुसार, हर्ले डेविडसन और यामाहा जैसी कंपनियों के शोरूमों ने सुपरबाइकों के अवैध बाजार को चोट पहुंचाई है, फिर भी तस्करी से मंगाई गई बाइकें  आधी कीमत में मिलती हैं.

ऐसी कुछ बाइकों को सड़क परिवहन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी सीमा शुल्क के बिल का इस्तेमाल करके पंजीकृत करा लिया जाता है. फर्जी कागजातों का प्रयोग अक्सर कई बाइकों के लिए होता है. डीआरआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ''पुलिस कागजों की जांच तो करती है, पर उनके पास उनकी प्रामाणिकता जांचने का कोई उपाय नहीं है.''

सुपरबाइकों के आने से कानूनी शर्तों की मांग उठने लगी है, जैसे इनकी रेस के लिए ट्रैक बनाना और सुपरबाइक चलाने की ट्रेनिंग के लिए स्कूल खोलना. ऐसा होने तक युवा लड़के खाली सड़कों पर अपनी जान खतरे में डालते रहेंगे.

Advertisement

-साथ में किरण तारे और पार्थ दासगुप्ता

Advertisement
Advertisement