भारतीय वायुसेना को 126 लड़ाकू विमान बेचने का करीब 10 अरब डालर का ठेका फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट राफाले को मिल गया है. यह देश में अपनी तरह का सबसे बड़ा सौदा है. डसाल्ट ने यूरोप की ही कंपनी ईएडीएस को पछाड़ते हुए यह सौदा हासिल किया.
सूत्रों ने बताया कि फ्रांसीसी कंपनी को सबसे नीची बोली लगाने वाला घोषित किया गया है. अब उसे भारत की रक्षा खरीद प्रक्रिया के अंतर्गत यह ठेका दिया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट राफाले सबसे कम बोली लगाने वाली फर्म के रूप में सामने आई है. उसकी बोली टेंडर में यूरोपीय प्रतिद्वंद्वी ईएडीएस से सस्ती है जिससे उसे भारतीय वायुसेना को विमान की आपूर्ति की पेशकश की जाएगी.’ ईएडीएस यूरोफाइटर बनाती है. उन्होंने कहा कि डसाल्ट के प्रतिनिधियों को इस घटना्रकम के बारे में मंगलवार को सूचित कर दिया गया और आगे की बातचीत 10-15 दिन में होगी.
इस अनुबंध पर अगले वित्त वर्ष में ही हस्ताक्षर होंगे. सरकार ने 2007 में इस सौदे के लिए 42,000 करोड़ रुपये की राशि निश्चित की थी.
अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) के तहत सौदा जीतने वाली कंपनी को भारतीय वायुसेना को 126 में से 18 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति अपने संयंत्रों से 18 माह में करनी होगी. शेष का विनिर्माण एचएएल के बेंगलूर कारखाने में किया जाएगा.
शुरुआत में इस सौदे की दौड़ में छह कंपनियां अमेरिकन एफ-16 और एफ-18, रूसी मिग 35, स्वीडन की साब ग्रिपेन तथा यूरोप फाइटर और डसाल्ट राफाले शामिल थीं.
पिछले साल अप्रैल में रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी, रूसी और स्वीडिश कंपनियों की बोली को खारिज कर दिया. उसके बाद इस दौड़ में डसाल्ट और ईएडीएस ही रह गईं.
इस बीच, फ्रांसिसी दूतावास ने बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी ने भारत द्वारा फ्रांसिसी कंपनी राफाले के चयन पर खुशी जतायी है.