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अंडरवर्ल्ड में मच गया है कोहराम

अंडरवल्ड के सबसे बड़े डॉन दाऊद इब्राहीम के भाई इकबाल कासकर पर किसने हमला किया? कौन है जो मुंबई को गरमा रहा है? कौन है जो एक बार फिर मुंबई की सड़कों पर खूनी गैंगवार देखना चाहता है?

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अंडरवल्ड के सबसे बड़े डॉन दाऊद इब्राहीम के भाई इकबाल कासकर पर किसने हमला किया? कौन है जो मुंबई को गरमा रहा है? कौन है जो एक बार फिर मुंबई की सड़कों पर खूनी गैंगवार देखना चाहता है? निशाना भले ही सिर्फ एक हो लेकिन दांव पर पूरा मुंबई है. क्या है इस हमले के पीछे की हकीकत? क्यों तोड़ा गया गैंगवार का उसूल? औऱ कौन है जो करना चाहता है मुंबई को गरम?

ज़ाहिर है आप जानना चाहते होंगे कि आखिर दाऊद के घर में घुस कर दाऊद के भाई यानी खुद दाऊद पर हमला करने की जुर्रत किसने की होगी? कौन है वो जो सीधे दाऊद से दो-दो हाथ करना चाहता है? तो पहले डी कंपनी के दुश्मनों की लिस्ट और मुंबई पुलिस की कहानी पर नजर दौड़ा लीजिए.

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दक्षिणी मुंबई के नागपाड़ा इलाके में मंगलवार की रात साढ़े नौ बजे रात की नमाज़ खत्म हो चुकी थी. दाऊद इब्राहीम का भाई इक़बाल कासकर नमाज़ पढ़ने के बाद अपने घर लौटा. उसके साथ बॉडीगार्ड आऱिफ समेत छह-सात गुर्गे थे. इसी बीच चार लड़के नागपाड़ा के उसी इलाके में घुसे जिसे डी कंपनी का गढ़ कहा जाता है. इनमें दो मोटर साइकिल पर सवार थे और दो पैदल. पैदल खड़े दोनों लड़कों को मोटरसाइकिल पर सवार लड़कों ने जैसे ही इशारा दिया, उनमें से एक ने फौरन जेब से रिवाल्वर निकाला और सारी की सारी गोलयां इकबाल कासकर और उसके गुर्गों की तरफ तान कर खाली कर दी. चूंकि आरिफ सबसे आगे खड़ा था लिहाजा सारी गोलियां उसी को भेद गईं. इस बीच इकबाल समेत उसेक बाकी गुर्गे घर की आड़ लेकर छुप चुके थे.

काम खत्म होते ही दोनों लड़के अब दूसरे रिवाल्वर से हवा  में गोलियां चलते हुए बाहर की तरफ भागे. मगर इलाका तंग था और भीड़ काफी ज्यादा. लिहाजा कुछ दूर जाने के बाद भीड़ ने दोनों को पकड़ लिया और फिर उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया. जबकि अफऱा-तफरी का फायदा उठा कर मोटर साइकिल पर
सवार दोनों लड़के पहले ही खिसक चुके थे. हमले में इकबाल का बॉडीगार्ड आरिफ मौके पर ही मारा गया.
 
डी-कंपनी के सारे दुश्मनों के नाम सामने एक-एक कर सामने आने लगे. पहला शक बैंकाक में बैठे डॉन सतोष शेट्टी पर गया. जिसकी कंपनी से पुरानी रंजिश थी लेकिन इंडियाज मोट वांटेड दाऊद की दहशत का अंदाजा लगाइए कि शेट्टी का नाम जैसे ही इस हमले से जुड़ा उसने न्यूज चैनलों के फोन घुम-घुमा कर खुद ही सफाई देना शुरू कर दिया कि इस हमले में शेट्टी गैंग नहीं है.
 
उधर हमले के फौरन बाद मुंबई क्राईम ब्रांच की इमरजेंसी मीटिंग शुरू हो चुकी थी. पुलिस ने घटना के पीछे छोटा राजन और उसकी सरपरसती में चलने वाले कुछ गैंग जिनमें रवि पुजारी, हेमंत पुजारी, एजाज लकड़वाला और यहां तक कि बबलू श्रीवास्तव और अली बुंदेश पर माथापच्ची शुरू कर दी. पुलिस को अंदेशा था कि कुछ ही देर में डी कंपनी के दुश्मनों की इसी फेहरिस्त में से कोई कोई डॉन इस घटना की जिममेदारी लेगा और फिर गैंगवार छिड़ते देर नहीं लगेगी.
लेकिन जो अंडरवर्ल्ड अपना कद बढ़ाने के लिए जब-तब ऐसी घटनाओं की बढ़-चढ़ कर जिम्मेदारी लेता था, उसी अंडरवर्ल्ड का हर डॉन इस वारदात से मंगलवार को बच निकलना चाहता था. हर डॉन सफाई दे रहा था, हमला उसने नहीं किया. हमले के पीछे उसका हाथ नहीं है. आखिर मामला भाई के भाई का था.

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अंडरवर्ल्ड के वो तमाम डॉन जो जब-तब डी-कंपनी को धमकाते रहते हैं, इस हमले के फौरन बाद या तो खामोश हो गए हैं या फिर अपनी सफाई देते फिर रहे हैं. बस इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि इस हमले का मतलब और उसका अंजाम क्या है या क्या होने वाला है?

हमला दाऊद के गढ़ में घुस कर किया गया. दाऊद के घर के बाहर दाऊद के भाई पर किया गया. मगर मुंबई पुलिस कहती है कि हमला दाऊद के भाई पर नहीं बल्कि भाई के बॉडीगार्ड पर किया गया था.
 
ज़ाहिर है पुलिस की ये बात हजम नहीं होती. इसकी वजह भी है. अगर निशाने पर आऱिफ ही था तो हमलावर आरिफ के घर जाकर या कहीं भी,कभी भी उसे मार सकते थे. वो दाऊद के गढ़ में घुस कर इतना बड़ा खतरा मोल नहीं लेते पर पुलिस की मजबूरी है. वो नहीं चाहती कि मामला तूल पकड़े क्योंकि फिर मुंबई की सड़को पर गैंगवार रोकना नामुम्किन होगा.
 
अंडरवर्ल्ड के सूत्रों के मुताबिक खुद छोटा राजन ने इस हमले में हाथ होने से इंकार कर दिया है और कहते हैं कि डी कंपनी और मुंबई पुलिस भी ये मान चुकी है कि इस हमले से छोटा राजन का कोई लेना-देना नहीं है. तो फिर हमला किसने किया? आजतक ने सच तक पहुंचने के लिए डी कंपनी और उसके दुश्मनों के साथ-साथ मुंबई पुलिस के कुछ आला अफसरों को भी कुरेदा. इसके बाद जो बातें सामने आईं वो बेहद चौंकाने वाली हैं.
 
मुंबई पुलिस के सूत्रों के मुताबिक इस हमले में उस गैंग का हाथ हो सकता है जो डी कंपनी और छोटा राजन को पछाड़ कर खुद सबसे बड़ा डॉन बनना चाहता है. इस गैंग का नेपाल में अच्छा-खासा दबदबा है. पकड़े गए दोनों हमलारों में से एक इंद्रलाल बहादुर खत्री नेपाल का ही रहने वाला है और पहले माओवादयों के साथ जुड़ा रहा था। सैयद बिलाल भी इधऱ काफी वक्त से नेपाल में रह रहा था.

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इसके अलावा मुंबई पुलिस इस बात से भी इंकार नहीं कर रही है कि इस हमले के पीछे दाऊद को उसके गढ़ से बाहर निकालने और उसे धमकाना भी मकसद हो सकता है. ओसामा की मौत के बाद दाऊद ना सिर्फ डर गया है बल्कि खबर है कि उसने पाकिस्तान में अपना ठिकाना भी बदल लिया है.
 
वैसे इस हमले को लेकर एक थ्योरी और भी है और वो ये कि खुद पुलिस अंडरवर्ल्ड के अलग-अलग धड़ों को आपस में लड़वा कर इस गैंगवार और अंडरवर्ल्ड को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर देना चाहती है.

इधर मुंबई में इकबाल कासकर पर हमला होता है और उधऱ पंद्रह मिनट बाद ही पाकिस्तान में छुपे दाऊद को इसकी खबर मिल जाती है, फोन पर. पूरा डी-कंपनी अचानक परेशान हो जाता है. वो हमले के बारे में छोटी से छोटी जानकारी हासिल करना चाहता है पर खुद दाऊद, अनीस और छोटा शकील मुंबई फोन नहीं कर सकते थे क्योंकि आईएसआई नहीं चाहती थी.

इधर मंबई के नागपाड़ा में गोलियां चलीं और उधर पाकिस्तान में फोन की घंटी घनघना उठी. भाई को भाई पर हुए हमले की जानकारी मिल चुकी थी. पाकिस्तान में बैठा डी कंपनी का हर बड़ा शख्स खास कर दाऊद का परिवार हमले की छोटी से छोटी जानकारी फोन पर ले रहा था. दाऊद और उसके भाइयों ने तब चैन की सांस ली जब पता चला कि इकबाल कासकर सही-सलामत है.
 
पर इस हमले ने दाऊद और उसके भाइयों की बेबसी भी दिखाई. बेबसी फोन ना करने की. खुफिया ब्यूरो के सूत्रों के मुताबिक ओसामा बिन लादेन की पाकिस्तान में मौत के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएआई ने दाऊद इब्राहीम, अनीस इब्राहीम औ छोटा शकील पर कई बंदिशें लगा दी हैं. ताकि पाकिस्तान में उसकी मौजूदगी साबित ना हो सके और इन्हीं में से एक बंदिश है इन तीनों के भारत फोन करने पर रोक.
 
सूत्रों के मुताबिक आईएसआई ने दाऊद, अनीस और छोटा शकील को हिदायत दे रखी है कि भारत में किसी को भी फोन मिलाने से एक दिन पहले वो उसे खबर करे. बाकायदा उन फोन नंबरों की लिस्ट दे जिनपर उनहें फोन करना है. आईएसआई की हरी झंडी के बाद ही फिर वो फोन मिला सकते हैं. इतना ही नहीं आईएसआई ने रात को सोने से पहले इन तीनों के कमरों से तमाम फोन, फैक्स औरे इंटरनेट के कनैकशन भी काट देने का हुक्म दे रखा है.
 
सूत्रों के मुताबिक मंगलवार की रात भाई पर हमले की खबर मिलते ही दाऊद और अनीस ने पहले आईएसआई को इसकी खबर दी और फिर मंजूरी मिलने के बाद देर रात ही मुंबई में फोन मिलाया. वर्ना तब तक वो बस बेबस मुंबई से आने वाले फोन का ही इंतजार करता रहा और उसी बीच आजतक भी फोन के जरिए डी कंपनी तक पहुंचा. दाऊद के भाई अनीस इब्राहीम ने आजतक से कहा कि भाई पर हमले का जवाब अप कंपनी देगी.

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डी-कंपनी की बुनियाद सैकड़ों लाशों पर खड़ी की गई. अंडरवर्ल्ड में डी कंपनी का खौफ बनाने में सैकड़ों लोगों का खून बहाया गया. दाऊद ने लाशों के ढेर पर चलकर अपने खौफ का निज़ाम कायम किया. अस्सी का दशक गवाह है दाऊद इब्राहिम कास्कर के गैंगवार से कांपती मुबंई का.

मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में बुनियाद रखी गयी उस डी कंपनी की जिसकी कीमत आज 3000 करोड़ बतायी जाती है. कुछ लोग तो इसकी मालियत 90 हजार करोड़ भी बताते हैं. संपत्ति के इस पहाड़ पर लाशों के ढेर से होकर पहुंचा है दाऊद. हाजी मस्तान के लिए स्मगलिंग करने वाला एक पुलिस हवलदार का बेटा दाऊद इब्राहिम फितरत से अपराधी था. पैसा उसकी मजबूरी और कमजोरी थी. मुंबई पुलिस की फाइल से निकली घटनाओं के मुताबिक हाजी मस्तान के लिए काम करते हुए दाऊद इब्राहिम ने 1977 में पहली बार दरिया में एक नाव लूटी. आज के दाम पर उसकी कीमत थी 1 करोड़ 26 लाख रूपए.

पैसे की गर्मी में गरमाए दाऊद इब्राहिम ने अपने गुरू हाजी मस्तान को पीछे छोड़ते हुए पैर आगे बढ़ाए तो उसके सामने खड़ा था मुंबई का पठान गैंग
दाऊद इब्राहिम ने डी कंपनी को मुंबई का किंग बनाने के लिए सबसे पहले अपने आड़े आ रही करीब लाला की कंपनी को उखाड़ने की ठानी. करीम लाला के भतीजे आलमजेब और आलम गीर इसे चलाते थे. समझौते के बावजूद दाऊद ने इन दोनों को खत्म कर दिया.

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करीम लाला के पठान गिरोह के बचे खुचे लोगों ने आलमजेब और आलमगीर की हत्या का बदला लेने के लिए दाऊद इब्राहिम के भाई शब्बीर की चलती सड़क पर हत्या कर दी और इसके बाद दाऊद इब्राहिम ने हत्याओं की झड़ी लगा दी. 1981 में भाई शब्बीर की हत्या का बदला लेने के लिए दाऊद इब्राहिम ने 2 महीने में 18 कत्ल कर करीमलाला और उससे जुड़े लोगों को एक दम साफ कर दिया. इसके बाद दाऊद इब्राहिम ने इंडिया टुडे को दिए गए अपने इंटरव्यू में कहा कि हम तो मामूली व्यापारी थे, हमारे भाई की हत्या ने ही हमें अपराधी बना दिया. पर इन हत्याओं ने दाऊद को दबदबा मुंबई में कायम कर दिया और अब दाऊद और उसकी कंपनी का सिक्का चलने लगा.

दाऊद के दुश्मनों ने अबकी दांव लगाया दाऊद के बहनोई पर. बहन हसीना पारकर के पति इब्राहिम पारकर को गवली गिरोह ने गोली मार दी. दाऊद गुस्से से पागल हो गया. 1992 में दाऊद ने जेजे अस्पताल में भर्ती गवली के आदमी शैलेश हल्दनकर की पुलिस हिरासत के बीच हत्या करवा दी. इसके बाद मुंबई के सारे गैंगों के बीच एक अलिखित समझौता हो गया कि कोई किसी के परिवार पर वार नहीं करेगा. ऐसे में जब दाऊद के भाई पर हमला हुआ तो मुंबई पुलिस के होश उड़ गए हैं.

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मुंबई में उन्नीस सौ तिरानबे के धमाकों के बाद अंडरवर्ल्ड सांप्रदायिक आधार पर बंट गया इसमें जहां एक तरफ दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी, आईएसआई, आईएम, लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा खड़े थे वहीं दूसरी ओर छोटा राजन, भरत नेपाली,बबलू श्रीवास्तव, एजाज लकडावाला, विकी मल्होत्रा,संतोष शेट्टी, अली बंगश,बंटी पांडे, रवि पुजारी वगैरा खड़े थे. अब दाऊद दुनिया का बेहद खौफनाक आतंकवादी बन चुका है. उसका नेटवर्क भारत के खिलाफ आतंकी वारदातों में इस्तेमाल किया जाता है पर मुंबई में उसके नाम का खौफ अब भी कायम हैं उसके दुश्मनों मे छोटा राजन ही सबसे मजबूत है और वो दाऊद विरोधी सरकारी खुफिया एजेंसियों से मदद की जुगाड़ में लगा रहता है. पर दाऊद के घर में घुस कर हुई इस ताजा वारदात ने जरूर ये सुराग दिया है कि दाऊद को मात देने की कोशिशें शायद फिर मजबूत हो रही हैं.

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