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31 मई को रिटायर होंगे सेना प्रमुख

सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह की उम्मीद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने उनकी आयु के मुद्दे पर सरकार के फैसले को सही ठहराया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 10 मई 1950 को उनकी जन्मतिथि स्वीकार करने संबंधी अपनी प्रतिबद्धता को अस्वीकार नहीं कर सकते. इसके चलते सेना प्रमुख को अपनी याचिका वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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जनरल वी.के. सिंह
जनरल वी.के. सिंह

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सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह की उम्मीद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने उनकी आयु के मुद्दे पर सरकार के फैसले को सही ठहराया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 10 मई 1950 को उनकी जन्मतिथि स्वीकार करने संबंधी अपनी प्रतिबद्धता को अस्वीकार नहीं कर सकते. इसके चलते सेना प्रमुख को अपनी याचिका वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जनरल सिंह की याचिका पर सुनवाई के पक्ष में नहीं है. याचिका में कहा गया है कि सरकारी दस्तावेजों में उनकी जन्मतिथि को 10 मई 1951 माना जाये. शीर्ष न्यायालय ने उन्हें याचिका वापस लेने का विकल्प दिया.

न्यायालय ने व्यवस्था दी कि जनरल सिंह के साथ कोई पूर्वाग्रह नहीं किया गया है तथा उनकी जन्मतिथि के बारे में सरकार का निर्णय प्रभावी रहेगा. इस मत के मद्देनजर जनरल सिंह को अब इस साल 31 मई को सेवानिवृत्त होना पड़ेगा.

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शीर्ष न्यायालय ने ध्यान दिलाया कि सरकार का उन पर पूर्ण भरोसा है तथा न्यायालय यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वह सेना प्रमुख की तरह काम करना जारी रखें जैसा कि वह अभी कर रहे हैं. खचाखच भरे अदालती कक्ष में दो घंटे तक चली सुनवाई में शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जनरल सिंह को अपनी उस प्रतिबद्धता और 2008 एवं 2009 में लिखे अपने उन पत्रों का सम्मान रखना चाहिए और 10 मई 1950 को अपनी जन्मतिथि स्वीकार करनी चाहिए. भोजनावकाश के बाद दोपहर दो बजे न्यायालय की सुनवाई फिर शुरू होने पर जनरल सिंह ने अंतत: अपनी याचिका को वापस ले लिया.

इससे पहले सुनवाई शुरू होने के समय एटार्नी जनरल जी ई वाहनवती ने न्यायालय को सूचित किया कि सरकार ने अपने 30 दिसंबर 2011 के उस आदेश को वापस ले लिया है जिसमें जनरल सिंह की आयु मुद्दे पर वैधानिक शिकायत को खारिज कर दिया गया था. इसी के साथ वाहनवती ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार पिछले साल जुलाई में किये गये अपने इस निर्णय पर अटल है कि उनकी जन्मतिथि 10 मई 1950 है.

न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनरल सिंह के समक्ष इसको लेकर कड़े सवाल किये कि उन्होंने दस्तावेजों को दुरूस्त क्यों नहीं करवाया. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि सेना द्वारा 10 मई 1950 को उनकी जन्मतिथि के रूप में पहचान किया जाना न तो कोई विकृति है और न ही इसमें कोई बड़ी त्रुटि हुई है.

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पीठ ने कहा कि जब जनरल सिंह भारतीय सैन्य एकादमी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हुए तो जिन दस्तावजों में उनकी जन्मतिथि 10 मई 1950 थी, वह उनकी पहुंच में थे.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ में न्यायमूर्ति एच एल गोखले भी शामिल थे. पीठ ने जनरल सिंह से कहा कि सरकार के निर्णय का पालन करने के बारे में प्रतिबद्धता जताये जाने के बाद और आश्वासन दिये जाने के पश्चात वह इसे अस्वीकार नहीं कर सकते. उसने कहा कि सरकार का सेना प्रमुख के रूप में उन पर पूर्ण विश्वास है तथा उनके प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है. साथ ही पीठ ने इस बात की ओर उनका ध्यान दिलाया कि सेना प्रमुख के रूप में जनरल सिंह उस शीर्ष पद पर पहुंच गये जिसकी किसी भी सैन्य अधिकारी को आकांक्षा रहती है.

शीर्ष न्यायालय ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि जनरल सिंह की रिट याचिका जन्मतिथि के निर्धारण के लिए नहीं बल्कि सरकारी दस्तावेजों में उनकी जन्म तिथि की पहचान के लिए है.

सेना प्रमुख को इस बात को लेकर और निराश हुई जब न्यायालय ने उनके इस अनुरोध को स्वीकार करने से इंकार कर दिया कि 10 मई 1950 की उनकी जन्मतिथि संबंधी सरकार का आदेश केवल सेना के रिकार्ड तक ही सीमित रहे. जनरल सिंह द्वारा अपनी याचिका वापस लिये जाने के बाद अदालत ने उसे निस्तारित घोषित कर दिया.

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इससे पूर्व वाहनवती ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार अपने 21 एवं 22 जुलाई के आदेश पर अटल है जिसमें जनरल सिंह के 1951 को अपना जन्मवर्ष बताये जाने के दावे को खारिज कर दिया गया था. उन्होंने शीर्ष न्यायालय से कहा कि सरकार एवं रक्षा मंत्री को सेना का नेतृत्व करने के मामले में जनरल सिंह पर पूर्ण विश्वास है. न्यायालय से निकलने के बाद सेना प्रमुख के वकील पुनीत बाली ने कहा कि यह दोनों पक्षों की विजय थी क्योंकि मामले का स्वीकार्य ढंग से समाधान निकाल लिया गया.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि हमारी याचिका सेवा के विस्तार (जनरल सिंह की) के लिए नहीं थी बल्कि यह जनरल के सम्मान और ईमानदारी का मामला था. उन्होंने कहा कि हमें इस बात का संतोष है कि उनके सम्मान और ईमानदारी को बहाल रखा गया है.

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