देश की सबसे बड़ी पहचान योजना, पूरे देश को 12 अंको में समेटने का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट. लेकिन इस प्रोजेक्ट में धांधली और फर्जीवाड़े के दीमक लगने लगे हैं. आजतक ने खुलासा किया है कि जिसमें सामने आया है कि कैसे चंद नोटों और वोटों के लिए बांटी जा रही है रेवड़ियां. बिना कागजात के, बिना किसी आवास प्रमाण पत्र के बन रहे हैं आधार कार्ड.
यूनिक आईडेंटिफिकेश कार्ड यानि आधार कार्ड जारी करने का काम देश में जोरों शोरों से चल रहा है. अब तक करीब 12 करोड़ लोगों को यूआईडी नंबर जारी भी किया जा चुके हैं. लेकिन इससे पहले कि यूपीए सरकार की सबसे चहेती और सुपर एडवांस्ड योजना परवान चढ़ पाती इसको लेकर गंभीर सवाल खड़े होने शुरू हो गये हैं.
इस खुलासे से आपके भी होश उड़ जायेंगे कि कैसे राजधानी दिल्ली में एमएलए और एमपी वोटों के चक्कर में देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रहे हैं. आजतक को पता चला कि देश का सबसे बड़ा पहचान पत्र बिना किसी पहचान के बांटा जा रहा है तो आजतक ने खुफिया कैमरे के साथ तहकीकात शुरू की तो एक खतरनाक तस्वीर सामने आई. हमने जाना कि कैसे कोई विदेशी आंतकी बिना किसी परेशानी के भारतीय होने की पहचान आसानी से हासिल कर सकता है.
दरअसल यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने आधार कार्ड को बनवाने के लिए ज़रूरी काग़जातों में छूट देने का अधिकार स्थानीय रजिस्ट्रार को दे दिया, जिसका सबसे गलत फायदा वोट बैंक के चक्कर में स्थानीय नेता उठा रहे हैं. ये लोग यूआईडी कार्ड बनवाने की जुगत लगे हैं. कोई पहचान पत्र नहीं है तो नेताजी के घर पर बंट रहे प्रमाण पत्र के लिए लाइन में लगे हैं. नेताजी के चमचे भी धड़ाधड़ साइन करने और ठप्पा मारने में लगे हैं. जितना ज्यादा प्रमाण पत्र बटेंगे, इलाके में नेताजी का उतना ही गुडविल बढ़ेगा. अब इसके लिए देश की सुरक्षा से समझौता करने पड़े तो भला किसे परवाह है.
दरअसल यूआईडी कार्ड बनवाने के लिए तीन दस्तावेज मुख्य तौर पर संलग्न करने ज़रूरी हैं. ये हैं 1. फोटो पहचान पत्र, 2. जन्म तिथि प्रमाण पत्र, 3. आवास प्रमाण पत्र. ऐसे में अस्थायी पते पर रहने वाले लोगों की परेशानी को देखते हुए यूआईडी अथॉरिटी ने आवास प्रमाण पत्र के लिए स्थानीय विधायक और सांसद के द्वारा जारी किये गये प्रमाण पत्र को मान्यता दे दी. बस यहीं से इस धांधली की शुरूआत हुई.
जनप्रतिनिधियों ने बिना किसी जान-पहचान और वेरिफिकेशन के लैटर हैड पर आवास प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया. हद तो ये है कि विधायकों और सांसदों ने पहले से ही लैटर पैड पर प्रमाण पत्र प्रिंट करा रख लिए हैं. जिनको पाने के लिए सुबह होते ही लोगों की लंबी कतार लग जाती है. बस इस प्रिटेंड लैटर हेड पर अपना पता भरिये और बन गया आवास प्रमाण पत्र.
यूआईडी केंद्रों में इस प्रमाण पत्र की दबंगई ऐसी है कि वहां बैठा कर्मचारी जन्मतिथि और आपकी पहचान के बारे में आपसे कोई सवाल-जवाब नही करेगा. कोई नहीं जानता कि इस तरीके से पहचान पत्र हासिल करने वालों की असली पहचान क्या है और इस बात की क्या गांरटी है कि कुछ विदेशी घुसपैठियों और आतंकियों ने इस तरीके से आधार कार्ड ना हासिल कर लिया हो.
आधार कार्ड के साथ हो रहे खिलवाड़ में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले सच हैं जनप्रतिनिधियों के नाम पर होते गड़बड़झाले. नेताओं के लेटर हेड पर बिना किसी पूछताछ के बन रहे हैं आवास प्रमाण पत्र. नेताओं के लेटर हेड पर फर्जी दस्तखत हो रहे हैं और उन्हीं के आधार पर बन रहे हैं आधार कार्ड.
पहचान पत्र बनवाने की तलाश में आजतक पहुंचा पश्चिमी दिल्ली से सांसद महाबल मिश्रा के निवास पर. वहां देखा कि नेता जी के लैटर हैड पर पहचान पत्र पाने के लिए पहले से ही लंबी लाइन लगी है. लेकिन अंदर बैठे मातहत कर्मचारी जल्दी काम निपटाने में लगे थे. बस हम भी लग गये लाइन में. नंबर आया तो वहां बैठे कर्मचारी ने बस हमसे एक फोटो और पता मांगा.
हमने फर्जी पता बताया. लेकिन उस शख्स ने बिना किसी जांच-परख किये पहले से प्रिटेंड लैटर पैड पर हमारा पहचान और आवास प्रमाण पत्र तैयार कर दिया. तुरंत ही लैटर पर साइन और ठप्पा लगाने के लिए पर्चा आगे बढ़ा दिया गया. मैंने एक और शख्स की फोटो देकर उसका भी फर्जी पहचान और आवास प्रमाण पत्र बनवा लिया. मुहर लगने के बाद वहां मौजूद दूसरे शख्स ने सांसद महाबल मिश्रा के हस्ताक्षर कर काम नक्की कर दिया.
सांसद महाबल मिश्रा का प्रमाण पत्र लेकर हम पहुंच गये यूआईडी सेंटर पर. वहां मौजूद कर्मचारियों ने कुछ खानापूर्ति की और मिनटों में ही बन गया हमारा यूआईडी कार्ड. बिना किसी वैरीफिकेशन के जारी किये जा रहे प्रमाण पत्र का सवाल जब हमने सांसद महाबल मिश्रा से पूछा तो उनका जवाब भी कम दिलचस्प नहीं है.
महाबल मिश्रा ने कहा, 'हिन्दूस्तान का कोई भी नागरिक हिंदूस्तानी है. आधार कार्ड से उसकी प्रामाणिकता होगी. आधार कार्ड से उसकी पहचान होगी. क्या नाम है, क्या व्यवसाय करता है, कहां का रहने वाला है. हम नहीं इश्यू करेंगे तो कौन करेगा. हमारा काम रिकमेंड करना है. पड़ताल करना सरकारी अधिकारी का काम है. जो मेरे क्षेत्र में दो साल से रहता है मैं उसे जानता हूं. हमारा काम रिकमेंड करना है.
दरअसल हमारे देश में कोई भी पहचान पत्र फर्जी तरीके से बनवाना बेहद आम बात है और यही समस्या यूनिक आइडेंटिफिकेशन कार्ड की योजना की शुरूआत करने का आधार बनी. किसी भी नागरिक की बायोमैट्रिक जानकारियों के आधार पर बनाये जाने वाला ये कार्ड एक बेहद विश्वसनीय और फर्जीवाड़े से दूर की चीज़ माना गया.
लेकिन देश के हरेक आदमी तक पहुंच बनाने के चक्कर में इसको बनाने के लिए ज़रूरी प्रमाण पत्रों को लेकर बेहद लचीला रवैया अपनाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में देश में घुसपैठ कर चुका कोई भी आंतकी आसानी से भारतीय होने की पहचान आसानी से हासिल कर सकता है. जाहिर है ये देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है.