वह दिन दूर नहीं, जब दुनिया के सबसे बडे़ लोकतांत्रिक देश भारत के पास नया संसद भवन हो सकता है.
लोकसभा और राज्यसभा के लिए वैकल्पिक परिसर बनाने पर सुझाव देने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जा रहा है.
लोकसभा के महासचिव टीके विश्वनाथन ने बताया कि समिति तय करेगी कि नये परिसर के लिए जगह कौन-सी हो और उसका आकार कैसा हो. समिति का गठन जल्द ही लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार करेंगी.
यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है, जब 1927 में बने मौजूदा संसद भवन की ऐतिहासिक इमारत में कई तब्दीलियां कर दी गयी हैं. इससे इमारत का ढांचा खतरे में पड़ गया है.
विश्वनाथन ने कहा कि समिति इस इरादे से गठित की जा रही है कि मौजूदा ढांचा 85 साल पुराना है. इसके अलावा अगले 50 सालों में महिलाओं एवं समाज के अन्य कमजोर वर्गों को अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व देने से दोनों सदनों की संख्या में काफी बढोतरी होने की संभावना है. साथ ही संसद भवन में बहुत बडी़ संख्या में सुरक्षाबल तैनात रहते हैं. यह देश की सबसे अधिक किलाबंद इमारतो में से एक है.
लोकसभा अध्यक्ष के हवाले से उन्होंने कहा कि इमारत पर बहुत अधिक बोझ है. नये एयरकंडीशन और अन्य साज सामान लगने से इस पर दबाव बढ़ा है. इसके अलावा भारी मात्रा में तार भी इस इमारत में मौजूद हैं जिसकी इमारत निर्माण के समय मूल रूप से कोई योजना नहीं थी.
लोकसभा सचिवालय ने रुडकी के एक प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान से संपर्क किया है ताकि मौजूदा इमारत का अध्ययन किया जा सके. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से भी कहा गया है कि वह ऐसे उपाय सुझाये जो भूकंप की स्थिति में अपनाये जाने चाहिए.