विपक्षी दलों ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की कि भारत में कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर रोक है.
इन दलों का कहना है कि सरकार को किसी भी दबाव में नहीं आना चाहिए और अन्य लोगों की धारणाओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए.
माकपा के वरिष्ठ नेता नीलोत्पल बसु ने कहा, ‘वे अपनी शर्तों पर हमारी अर्थव्यवस्था और बाजार को खोलना चाहते हैं. इस उद्देश्य के लिए वह यह दबाव बना रहे हैं. जैसी स्थिति है, कोई भी यह विश्वास नहीं करेगा कि मौजूदा स्थिति में विश्व भर में निवेश परिदृश्य में कोई भारी बदलाव होने जा रहा है.’
भाजपा ने कहा कि ओबामा की टिप्पणी ‘हास्यास्पद’ है. पार्टी के प्रवक्ता तरुण विजय ने कहा, ‘वह देश हमें निवेश और अर्थव्यवस्था के बारे में प्रमाणपत्र दे रहा जो स्वयं आर्थिक समस्या का सामना कर रहा है. हमें अपने तरीके से अपने राष्ट्रीय हितों को सुनिश्चित करना चाहिए. यह हास्यास्पद है.’
तरुण विजय ने कहा कि भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जैसे मुद्दों पर अपने हितों को लेकर आंखें नहीं मूंद सकता. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास एफडीआई का विरोध करने का पूरा अधिकार है. यह हमारे हित का सवाल है.’ वाम और भाजपा ने एफडीआई का विरोध किया था विशेषकर छोटे व्यापारियों को ध्यान में रखते हुए खुदरा क्षेत्र में.
भारत में खुदरा सहित कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर रोक लगी होने की ओर ध्यान दिलाते हुए ओबामा ने निवेश माहौल में गिरावट आने पर चिंता जतायी थी.