चार साल से सर्न की प्रयोगशाला में जिस सबसे बड़े प्रयोग के लिए माथापच्ची चल रही थी, उसमें वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिलती दिख रही है. सर्न के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने उस गॉड पार्टिकल को ढूंढ़ निकाला है, जिससे ये ब्रह्मांड बना है.
सर्न के वैज्ञानिक जेनेवा में बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए 40 सालों की खोज पर बड़ा खुलासा करने वाले हैं.
दुनिया का सबसे बड़ा प्रयोग कामयाब होने की आहट सुनाई देने लगी है. जिस रहस्य को सुलझाने के लिए यूरोपियन ऑर्गनाइज़ेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च यानी, सर्न ने महामशीन बनाई थी, उसका मकसद पूरा हो चुका है. फ्रांस और स्विट्ज़लैंड के बॉर्डर पर बनी दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला में दुनिया भर के वैज्ञानिक ने वो कण ढूंढ लिया है, जिसे गॉड पार्टिकल, यानी भगवान का कण कहा जाता है.
सर्न के वैज्ञानिकों ने गॉड पार्टिकल या हिग्स बोसन पार्टिकल का पता लगाने के संकेत दिसंबर 2011 में ही दे दिए थे, लेकिन इसका ब्योरा उजागर नहीं किया गया. अब जेनेवा में भौतिकी के सबसे बड़े रिसर्च की कामयाबी का एलान होने जा रहा है.
CERN के वैज्ञानिकों को 99.99 फीसदी यकीन है कि गॉड पार्टिकल का रहस्य सुलझ गया है. इस बेहद खास मौके को यादगार बनाने के लिए मशहूर वैज्ञानिक पीटर हिग्स को जेनेवा आने का न्यौता भेजा गया है, जिन्होंने पहली बार सृष्टि की रचना में सबसे अहम साबित हुए उस रहस्यमय कण का ब्योरा दिया था.
महामशीन के महाप्रयोग को मिली इस कामयाबी पर अमेरिकी प्रयोगशाला में काम कर रहे वैज्ञानिकों ने भी मुहर लगा दी है. उन्होंने भी गॉड पार्टिकल को ढूंढने का दावा किया है और अब उन्हें सर्न के एलान का इंतज़ार है, ताकि अपने दावे की पुष्टि कर सकें.
गॉड पार्टिकल को ढूंढने के काम में वैज्ञानिकों को 40 साल से भी ज़्यादा वक्त लगा. अकेले सर्न की महामशीन पर ही 10 अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं. यह कामयाबी इतनी बड़ी है, जिसके आगे यह कीमत कुछ भी नहीं है. वैज्ञानिकों को यकीन है कि भगवान का कण मिलने के बाद ब्रह्मांड के तमाम रहस्य सुलझाने का दरवाज़ा खुल जाएगा.