सोने में अभी तेजी का दौर जारी रहेगा और यह दिवाली तक 29,000 से 30,000 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर पर होगा. बांबे बुलियन एसोसिएशन ने यह राय जाहिर की है.
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एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि स्थानीय मांग की वजह से सोना दिवाली तक 29,000 से 30,000 रुपये प्रति दस ग्राम के बीच रहेगा.’ कोठारी ने कहा कि हेजिंग के लिए अभी भी सोने को सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है.
मुंबई में शनिवार को सोना स्टैंडर्ड का भाव 26,215 रुपये प्रति दस ग्राम रहा था.
इसके उलट ब्रोकरेज फर्म माया आयरल ओर्स के चेयरमैन प्रवीण कुमार का मानना है कि लघु अवधि में घरेलू बाजार में सोने का भाव 25,970 से 26,460 रुपये प्रति दस ग्राम के दायरे में रहेगा. कुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 1,626 से 1,650 डालर प्रति औंस के दायरे में रहेगा. निवेशकों के पास नकदी की कमी की वजह से यह इससे नीचे की ओर रह सकता है. सितंबर में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 1,923.7 डालर प्रति औंस के उच्च स्तर को छूने के अलावा 1,535 डालर प्रति औंस के निचले स्तर तक गया.
रिण संकट और गहराने की वजह से भारी बिकवाली से इस बहुमूल्य धातु के दाम सितंबर अंत में 11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,634 डालर प्रति औंस रह गए, जो अगस्त अंत तक 1,826 डालर प्रति औंस पर थे.
इंडियाइन्फोलाइन के जिंस विश्लेषक हितेश जैन ने कहा कि सोने में गिरावट की एक और प्रमुख वजह यह रही कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की लघु परिपक्वता अवधि की सरकारी प्रतिभूतियों को लंबी अवधि में बदलने की योजना सफल नहीं रही, जिससे बाजार में भारी बिकवाली का दौर चला. जैन ने कहा कि त्योहारी और शादी ब्याह के सीजन की वजह से कीमत के मोर्चे पर घरेलू बाजार में सोने में तेजी रहेगी.
वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में तेजी के बावजूद भारत इसका प्रमुख ग्राहक बना हुआ है. इस साल जनवरी से जून के दौरान सोने का आयात 553 टन रहा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) का मानना है कि इस साल यह 1,000 टन के आंकड़े को पार कर सकता है.
डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक (भारत और पश्चिम एशिया) अजय मित्रा ने हाल में कहा था, ‘पहली छमाही का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. यदि यही रुख जारी रहता है तो तीसरी तिमाही में आयात 170 से 180 टन के बीच रह सकता है और चौथी तिमाही में 250 टन पर पहुंच सकता है. इस तरह हम 1,000 टन के आंकड़े को पार जाएंगे.’