कर्नाटक में पहले से संकट का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी को उस समय विचित्र स्थिति का सामना करना पडा जब संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को 117 विधायकों के मत हासिल हुए जबकि भाजपा समर्थित पी ए संगमा को 103 मतों से संतोष करना पड़ा. स्पष्ट है कि राज्य में प्रणब को ‘क्रॉस वोटिंग’ का फायदा मिला.
प्रणब को वैसे तो केवल 98 विधायकों के मत हासिल होने थे, जिनमें से कांग्रेस के 71 और जद-एस के 27 विधायक शामिल थे लेकिन उन्हें 19 और विधायकों का समर्थन हासिल हो गया.
कर्नाटक विधानसभा में सत्ताधारी भाजपा के 119 विधायक हैं लेकिन संगमा को केवल 103 मत मिल पाये. 19 जुलाई को हुए मतदान में एक विधायक ने मतदान नहीं किया.
राज्य में भाजपा की स्थिति वैसे ही असमंजस वाली है क्योंकि दो साल में उसे तीन मौकों पर मुख्यमंत्री बदलने पड़े. मुखर्जी को कर्नाटक में मिले मतों का मूल्य 15327 है जबकि संगमा के मतों का मूल्य 13493 है. गुजरात में भी भाजपा के एक विधायक ने मुखर्जी के पक्ष में मतदान किया.
प्रणब को वैसे तो केवल 98 विधायकों के मत हासिल होने थे, जिनमें से कांग्रेस के 71 और जद-एस के 27 विधायक शामिल थे लेकिन उन्हें 19 और विधायकों का समर्थन हासिल हो गया.
कर्नाटक विधानसभा में सत्ताधारी भाजपा के 119 विधायक हैं लेकिन संगमा को केवल 103 मत मिल पाये. 19 जुलाई को हुए मतदान में एक विधायक ने मतदान नहीं किया.
राज्य में भाजपा की स्थिति वैसे ही असमंजस वाली है क्योंकि दो साल में उसे तीन मौकों पर मुख्यमंत्री बदलने पड़े. मुखर्जी को कर्नाटक में मिले मतों का मूल्य 15327 है जबकि संगमा के मतों का मूल्य 13493 है. गुजरात में भी भाजपा के एक विधायक ने मुखर्जी के पक्ष में मतदान किया.