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कौन थे गजल सम्राट मेहदी हसन?

पाकिस्तानी गजल गायक मेहदी हसन अब हमारे बीच नहीं रहे. इस नामचीन गजल गायक का बुधवार 13 जून को कराची के अस्पताल में निधन हो गया. पिछले कई दिनों से मेहदी हसन का इलाज कराची के अस्पताल में चल रहा था.

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मेहदी हसन
मेहदी हसन

पाकिस्तानी गजल गायक मेहदी हसन अब हमारे बीच नहीं रहे. इस नामचीन गजल गायक का बुधवार 13 जून को कराची के अस्पताल में निधन हो गया. पिछले कई दिनों से मेहदी हसन का इलाज कराची के अस्पताल में चल रहा था.

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मेहदी हसन का जन्म 18 जुलाई 1927 में हुआ था. राजस्थान के लूना गांव में जन्मे हसन का परिवार पहले से ही संगीत से जुड़ा हुआ था. मेहदी हसन ने संगीत की तालीम अपने पिता उस्ताद आजिम खान और चाचा उस्ताद इस्माइल खान के देखरेख में ली.

मेहदी हसन साहब ने छोटी सी उम्र में स्टेज पर परफॉर्म करना शुरू कर दिया था. जब वे 20 साल के थे जो भारत-पाक विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चला गया. इस दौरान उनके परिवार को भारी आर्थिक तंगी की मार को झेलना पड़ा.

इस स्थिति से बाहर निकलने की खातिर मेहदी हसन साहब ने पहले साइकिल की दुकान में काम करना शुरू किया बाद में वे कार और डीजल ट्रेक्टर के मैकेनिक भी बने. लेकिन इस मुश्किल वक्त में भी संगीत का साथ नहीं छोड़ा. वे इस दौरान भी रोजाना रियाज किया करते थे.

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वक्त ने करवट बदला और मेहदी हसन को पाकिस्तान रेडियो पर गाने का मौका मिला. शुरुआती दिनों मे वे रेडियो पर ठुमरी गाया करते थे जिसके बूते कई संगीत घरानों में उनकी पहचान बनी.

उस दौर में उस्ताद बरकत अली खान, बेगम अख्तर और मुख्तार बेगम नामी गजल गायक थे.

मेहदी हसन साहब को ऊर्दू में कविताएं लिखने का शौक था और धीरे-धीरे उन्होंने गजल गाना शुरू किया. हसन की गाई ‘अब के बिछड़े’ और ‘पत्ता पत्ता बूटा बूटा’ गजलें काफी लोकप्रिय रहीं.

गंभीर बीमारी की वजह से 80 के दशक में मेहदी हसन ने गाना छोड़ दिया. बाद में उन्होंने संगीत से रिश्ता तोड़ लिया.

मिले कई अवार्ड

जनरल अयुब खान द्वारा 'तमगा-ए-इमतियाज'
जनरल जियाउल हक द्वारा the Pride of Performance
जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा 'हिलाल-ए-इमतियाज'
1979 में जालंधर में सैगल अवार्ड
1983 में नेपाल में गोरखा दक्षिणा बहु अवार्ड



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