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चिदंबरम ने कहा, अतिरिक्त धन न मांगें मंत्रालय

उंचे राजकोषीय घाटे के बीच वित्त मंत्रालय ने मंत्रालयों से कहा है कि वे कुल मिलाकर बजटीय आवंटन से अधिक धन नहीं मांगें.

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चिदंबरम
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उंचे राजकोषीय घाटे के बीच वित्त मंत्रालय ने मंत्रालयों से कहा है कि वे कुल मिलाकर बजटीय आवंटन से अधिक धन नहीं मांगें.

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार की वित्तीय हालत के मद्देनजर हाल ही में विभिन्न मंत्रालयों के वित्तीय सलाहकारों के साथ बैठक में कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में आवंटन में किसी बड़ी वृद्धि की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए.

आमतौर पर मंत्रालयों से मिली जानकारी के आधार पर वित्त मंत्रालय अनुपूरक अनुदान मांगों के जरिए संसद से बजटीय आवंटन बढाने की मंजूरी लेता है.

राजकोषीय घाटा 2012-13 के पहले चार महीने में बजटीय अनुमान का 51.5 प्रतिशत (2.64 लाख करोड रुपये) रहा और इस पर काबू पाने के लिए ही ये निर्देश दिए गए हैं.

सरकार ने राजकोषीय घाटे को मौजूदा वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है जो एक साल पहले 5.8 प्रतिशत था.

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सूत्रों के अनुसार चिदंबरम ने मंत्रालयों से नयी केंद्र प्रायोजित योजनाएं भी तैयार करने को कहा है. इस तरह की कुल 147 योजनाओं में लगभग 100 में सालाना योजना परिव्यय 300 करोड़ रुपये या कम है. मंत्री ने कहा कि इस तरह की योजनाओं में मामूली परिव्यय (लगभग 50-55 लाख रुपये प्रति जिले) से विकास प्रक्रिया पर कोई बड़ा आसर पड़ने की संभावना नहीं है.

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय ने 31 मई को सभी मंत्रालयों तथा विभागों से कहा था कि वे मौजूदा वित्त वर्ष में गैर योजना परिव्यय में दस प्रतिशत की कमी करें.

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