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दिल्ली की सड़कों पर दिखी 'गांधीगीरी' की मिसाल

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को दिल्ली की सड़कों पर जो नजारा देखने को मिला उसने 'गांधीगीरी' की एक नई मिसाल कायम कर दी.

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अन्ना हजारे की गिरफ्तारी
अन्ना हजारे की गिरफ्तारी

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सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को दिल्ली की सड़कों पर जो नजारा देखने को मिला उसने 'गांधीगीरी' की एक नई मिसाल कायम कर दी.
हाथों में तिरंगा और सिर पर गांधी टोपी पहने प्रदर्शनकारियों ने न तो कोई कोहराम मचाया और न ही राष्ट्रीय सम्पत्ति को तनिक नुकसान पहुंचाया वहीं दूसरी ओर बाबा रामदेव व उनके समर्थकों पर लाठियां बरसाने वाली दिल्ली पुलिस पर भी गांधीगीरी का प्रभाव दिखा. क्योंकि एक भी पुलिसकर्मी के हाथ में न तो डंडा था और न ही कोई हथियार.

दरअसल, अन्ना हजारे ने प्रदर्शनकारियों से खुद अपील की थी कि वह आंदोलन के दौरान हिंसा का रास्ता न अपनाएं. उधर दिल्ली पुलिस ने भी अपने जवानों को बल प्रयोग न करने की सख्त हिदायत दी थी. इन अपीलों का असर भी दिखा और सम्भवत: इसीलिए इतनी भारी संख्या में हुए विरोध प्रदर्शन के बावजूद कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई.

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हिरासत में लिए जाने से पूर्व अन्ना हजारे ने एक नए अवतार में देशवासियों को अपना संदेश दिया था. पहले से रिकार्ड किए गए इस संदेश को अपनी गिरफ्तारी के बाद जारी करवाकर अन्ना ने कहा, "मेरी गिरफ्तारी के बाद इस आंदोलन को मत रुकने दीजिए. यह आजादी की दूसरी लड़ाई है. पूरा विश्व जानता है कि भ्रष्टाचार किस कदर अपने पांव जमा चुका है."

अन्ना हजारे ने कहा, "मैं आपसे अपील करता हूं कि इस आंदोलन में किसी तरह की हिंसा न होने पाए. मैं युवा और बुजुर्ग लोगों से अपील करता हूं कि यदि जेल भरो आंदोलन की आवश्यकता पड़े तो आप अपने आठ दिन देश को समर्पित कीजिए."

उधर, दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी. के. गुप्ता ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "हमने बल प्रयोग न करने के सख्त निर्देश दिए थे. बड़ी संख्या में अधिकारी स्तर के कर्मचारियों को मोर्चे पर लगाया गया था. महिला पुलिस को भी बड़ी संख्या में तैनात किया गया था. यही वजह रही कि कहीं से भी कोई हिंसक घटना की खबर नहीं आई."

दिल्ली पुलिस के इस आदेश का ही असर था कि सड़कों पर उसके जवान निहत्थे दिखे और जहां कभी भी जरूरत हुई उन्होंने बल प्रयोग करने की जगह प्रदर्शनकारियों को समझाना-बुझाना ही उचित समझा. कई जगह तो पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हाथों से पकड़कर ले जाते और समझाते-बुझाते देखा गया.

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ज्ञात हो कि यह वही दिल्ली पुलिस थी जिसने आधी रात में रामलीला मैदान में योग गुरु बाबा रामदेव व उनके समर्थकों पर लाठियां बरसाईं थीं. इस दौरान दिल्ली पुलिस ने बच्चे, बूढ़े क्या महिलाओं तक को नहीं बख्शा था. इस कार्रवाई में घायल हुई राजबाला नाम की महिला आज भी अस्पताल में है तथा जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है.

बहरहाल, दिल्ली की सड़कों पर आज जो गांधीगीरी दिखी उससे दो आशंकाए तो जरूर दूर हो गई. पहला कि देश में आज भी प्रदर्शन अहिंसक और गांधीवादी तरीके से हो सकते हैं और दूसरा कि शीर्ष स्तर से आदेश न मिले तो पुलिस का अदना सा मुलाजिम भी बल प्रयोग करने से पहले हजार बार सोचेगा.

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