scorecardresearch
 

कथा पूरी हुई दादा की

जब बंगलुरू में इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की बोली लगाने की प्रक्रिया में रीबाउंड के दौरान सौरव गांगुली का नाम पुकारा जाने वाला था, उसके कुछ ही क्षण पहले सहारा इंडिया के अध्यक्ष सुब्रत रॉय ने अपने बेटे सीमांतो से अनुरोध किया कि वे पूर्व भारतीय कप्तान को पुणे वॉरियर्स टीम में शामिल करने की एक आखिरी कोशिश कर लें. लेकिन टेबल पर सीमांतो रॉय के साथ बैठे कोच ज्‍यॉफ मार्श ने कहा, 'अगर आप ऐसा करते हैं, तो फिर मुझे बख्श दें.'

Advertisement
X

जब बंगलुरू में इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की बोली लगाने की प्रक्रिया में रीबाउंड के दौरान सौरव गांगुली का नाम पुकारा जाने वाला था, उसके कुछ ही क्षण पहले सहारा इंडिया के अध्यक्ष सुब्रत रॉय ने अपने बेटे सीमांतो से अनुरोध किया कि वे पूर्व भारतीय कप्तान को पुणे वॉरियर्स टीम में शामिल करने की एक आखिरी कोशिश कर लें. लेकिन टेबल पर सीमांतो रॉय के साथ बैठे कोच ज्‍यॉफ मार्श ने कहा, 'अगर आप ऐसा करते हैं, तो फिर मुझे बख्श दें.'

Advertisement

इसके कुछ ही सेंकड बाद बोली लगवाने वाले रिचर्ड मेडले ने यह ऐलान करते हुए सफेद क्रिकेट गेंद से मानो एक गोल दाग दिया कि गांगुली को कोई खरीदार नहीं मिला, वे कोलकाता नाइट राइडर्स सहित, जिसे चार साल पहले उन्होंने फिल्मस्टार शाहरुख खान और बाकी निवेशकों के साथ बड़े चाव से गढ़ा था, दस फ्रैंचाइजियों में से किसी की भी बोली आकर्षित कर सकने में नाकाम रहे.

सारी प्रक्रिया घर में टीवी पर देखने वाले गांगुली ने अपने इस काले रविवार को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. बाद में उन्होंने अपनी बेटी साना और उसके दोस्तों के साथ बास्केटबॉल खेली और दक्षिण कोलकाता में उनके घर के दरवाजे पर भीड़ लगाए बैठे संवाददाताओं के बार-बार फोन कॉल से बचने के लिए मोबाइल बंद कर दिया. {mospagebreak}

लगभग 48 घंटे बाद, हतोत्साहित गांगुली ने एक खेल चैनल के मालिक से कहा, 'मुझे निकालने के लिए औपचारिकता तक नहीं बरती गई. यह दुखद है, ऐसा नहीं होना चाहिए था. यह अपमानजनक है.' ललित मोदी ने जब पैसे से भरी-पूरी लीग शुरू की थी और थके-मांदे टवी के लिए नीलामी का जाने-माने चेहरों से लदा हुआ अपना खास अंदाज का रियल्टी शो किया था, तब गांगुली उसके प्रतीक खिलाड़ियों में से एक थे. और अब वही गांगुली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके 48 भारतीय क्रिकेटरों में से उन तीन खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्हें कोई खरीदार नहीं मिला, बाकी दो खिलाड़ी हैं- वसीम जाफर और वी.आर.वी. सिंह.

Advertisement

गांगुली के लिए इससे भी खराब बात यह थी कि राहुल द्रविड़ और वी.वी.एस. लक्ष्मण को चुन लिया गया, जबकि वे भी गांगुली की तरह 35 वर्ष से ज्‍यादा के हैं. दो दिन की बोली लगाने की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही यह साफ हो गया कि दुनिया की सबसे मालदार क्रिकेट लीग के चौथे संस्करण में गांगुली नहीं खेलेंगे. 12 जनवरी को सुब्रत रॉय ने आखिरी कोशिश की थी, जब उन्होंने गांगुली को इस आशय का प्रस्ताव फैक्स किया था कि वे पुणे वॉरियर्स टीम के मालिक सहारा एडवेंचर स्पोर्ट्‌स के निदेशक मंडल में शामिल हो जाएं. {mospagebreak}

यह गांगुली को आइपीएल में शामिल करने के लिए पिछले दरवाजे से प्रवेश देने की एक कोशिश नजर आई और कई लोगों को शंका थी कि जब केकेआर कोई साफ वादा नहीं कर रहा है, तब क्या गांगुली के लिए इस पेशकश को स्वीकार करना समझदारी भरा कदम होगा. केकेआर के निदेशक जॉय भट्टाचार्य का कहना है, 'निर्णय पूरी तरह पेशेवर था. हमारा ध्यान युवा खिलाड़ियों पर है.'

पूर्व भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी इससे सहमत हैं, 'गांगुली ट्वेंटी-20 के दबाव का सामना कैसे कर सकते हैं? वे पिछले दो साल से प्रतियोगी क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं.' रॉयल चैलेंजर्स बंगलौर की तरफ से मुख्य निर्णयकर्ता की भूमिका निभा रहे अनिल कुंबले ने भी इन अनुभवी स्पिनर की बात का समर्थन किया, 'यह आधुनिक क्रिकेट की नई वास्तविकता है. फ्रेंचाइजी तीन साल का विचार कर रहे हैं. एक साल का नहीं.'

Advertisement

केकेआर के मालिक शाहरुख खान ने, जो बोली शुरू होने के एक दिन पहले ही उड़ान से दक्षिण अफ्रीका रवाना हो गए थे, डरबन में पत्रकारों से सिर्फ इतना कहा कि वे लौटने के बाद गांगुली से मुलाकात करेंगे, ताकि कोलकाता में तनाव कम किया जा सके, जहां गांगुली के प्रशंसकों ने केकेआर के मैचों का बहिष्कार करने की धमकी दी है. गांगुली के समर्थकों का तर्क है कि पूर्व भारतीय कप्तान ने केकेआर की ब्रांडवैल्यू में भारी योगदान दिया है, लेकिन मालिकों के पेशेवर प्रबंधन की धारणा इससे विपरीत है. क्या केकेआर अकेला ऐसा फ्रेंचाइजी नहीं था, जिसके मालिकों में से कोई भी बोली लगाते समय नहीं था? {mospagebreak}

फिर भी कयास लगाए जाते रहे कि हर किसी ने गांगुली की अनदेखी क्यों कर दी. कुछ आइपीएल टीमों के सदस्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि पूर्व भारतीय कप्तान के पीठ पीछे की जाने वाली राजनीति में शामिल होने से मैदान के भीतर और बाहर, कई बार गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती थीं.

केकेआर के एक सूत्र का कहना है कि, 'ड्रेसिंग रूम में बैठाने के लिहाज से वे खतरनाक शख्स हैं, वे हमेशा एक खिलाड़ी को दूसरे के खिलाफ भड़काते रहते थे और ऐसी टांगखिंचाई करना उनके लिए आम बात थी.' वे यह भी कहते हैं, 'उन्हें शामिल न करने के पीछे उम्र कभी कोई मुद्दा नहीं थी. मुद्दा उनकी आदतों, उनके स्वभाव का है. भारतीय क्रिकेट का हर व्यक्ति उनकी ड्रेसिंग रूम से राजनीति करने की आदत जानता है.' गांगुली और अन्य खिलाड़ियों के बीच ऐसे तनाव की घटनाएं आइपीएल के पिछले संस्करणों के दौरान हो चुकी हैं, जब शाहरुख खान को गांगुली को हटाकर न्यूजीलैंड के ब्रैंडन मॅकलम को अपनी टीम का कप्तान बनाना पड़ा. {mospagebreak}

Advertisement

इसके अलावा भी कुछ कारण हैं. केकेआर का अभिन्न हिस्सा होने के बावजूद गांगुली आइपीएल 4 की योजना बनाए जाने के भी कई महीने पहले से पुणे वॉरियर्स में संभावित पालाबदल के बारे में बातचीत शुरू कर चुके थे. भट्टाचार्य कहते हैं, 'केकेआर के कर्ताधर्ता उन्हें बता रहे थे कि वे उन्हें टीम को संवारने वाले और एक गुरू की भूमिका में रखना चाहेंगे, लेकिन वे खेल नहीं सकेंगे. गांगुली ने इस पेशकश का कोई जवाब नहीं दिया.' सप्ताह के अंत में हुई बोली के तुरंत बाद केकेआर के सीईओ वेंकी मैसूर ने कहा, 'यह ऐसी पेशकश है, जिसके बारे में उन्हें विचार करना होगा और अगर वे इसमें दिलचस्पी दिखाते हैं, तो मेरे लिए इससे द्गयादा खुशी की कोई बात नहीं होगी.' रूठे गांगुली ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया.

पुणे वॉरियर्स के लिए मामला इससे भी पेचीदा था. सहारा समूह से काफी पहले से जुड़े रहे गांगुली रॉय के समक्ष बंगाली कार्ड काफी चतुराई से चल चुके थे और उन्हें इस बात की लगभग गारंटी मिल गई थी कि उनकी टीम में गांगुली को जगह मिल जाएगी, लेकिन ऐन मौके पर मार्श ने फिटनेस और मानव प्रबंधन के गंभीर मसले उठाकर खेल बिगाड़ दिया. माना जाता है कि कोच को यह बात भी चुभी थी कि गांगुली ने अपनी फीस अचानक बढ़ाकर 1.86 करोड़ रु. कर ली थी. {mospagebreak}

Advertisement

कीचड़ उछालने के इस युद्ध में सहारा समूह भी बिल्कुल तटस्थ बना रहा, जिसे गांगुली अभी हाल तक अपना सबसे सुरक्षित घर समझते थे. लखनऊ स्थित इस समूह के अभिजीत सरकार कहते हैं, 'जब मुख्य कोच और जूनियर खिलाड़ी पूरी तरह उनके खिलाफ हैं, तो हम उन्हें कैसे ले सकते हैं? टीम चुनने के लिहाज से कोच सबसे उपयुक्त व्यक्ति होता है.'

सरकार की बात पर किसी को ऐतराज नहीं है. चौथी बोली ने खेल और धंधे के बारे में सारे भ्रम दूर कर दिए. बोली के लिए पेश हुए किसी भी जाने-माने खिलाड़ी से जुड़ा रहा कोई भी भावनात्मक भाव बोली शुरू होने के बाद एक घंटे के अंदर ही डूब गया. यह एहसास तेजी से बढ़ रहा था कि विदेशी की बजाए भारतीय खिलाड़ियों पर पैसा लगाना ज्‍यादा सुरक्षित है. यहां तक कि दिल्ली के गौतम गंभीर ने भी यह नहीं सोचा था कि 24 लाख डॉलर (11.04 करोड़ रु.) की भारी-भरकम रकम के साथ करोड़पतियों की कतार में सबसे आगे वे ही होंगे, और उनके पीछे यूसुफ पठान और रॉबिन उथप्पा 21 लाख डॉलर (9.66 करोड़ रु.) और रोहित शर्मा 20 लाख डॉलर (9.20 करोड़ रु.) होंगे. बाकी तीन-युवराज सिंह, इरफान पठान और सौरभ तिवारी भी 20 लाख डॉलर के निशान से बहुत दूर नहीं हैं. {mospagebreak}

Advertisement

दुनिया के सबसे बड़े खेल ब्रॉडकास्टर ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्‌स के अनुभवी क्रिकेट कमेंटेटर एलन विल्किन्स कहते हैं, 'इन आंकड़ों की तुलना अगर सबसे ज्‍यादा दाम वाले विदेशी खिलाड़ी महेला जयवर्धने (15 लाख डॉलर) और 10 लाख डॉलर के दायरे वाले बाकी दो खिलाड़ियों-डेविड हसी और डेल स्टैन से करें, तो तुरंत अंदाज हो जाएगा कि फ्रेंचाइजियों पर नियंत्रण रखने वाले धनपतियों के दिमाग में क्या चल रहा था.' वे यह भी कहते हैं, 'ध्यान रहे, महेंद्र सिंह धोनी को 2008 में 15 लाख डॉलर मिले थे और इसके अगले साल एंड्रयू फ्लिंटॉफ और केविन पीटरसन के दाम 15.50 लाख डॉलर थे. और इस बार आपके पास नए लड़कों की कतार है, जिन्हें 20 लाख डॉलर से ज्‍यादा में खरीदा गया है. यही तरीका आने वाले वर्षों में भी जारी रहेगा, क्योंकि यह लीग नए खून के लिए है.'

जाने-माने क्रिकेट विश्लेषक हर्ष भोगले कहते हैं, 'यह वैसा ही है, जैसे म्युचुअल फंड का मैनेजर अपनी इक्विटी का पोर्टफोलियो बना रहा हो. जाहिर है कि आइपीएल की टीमों के मालिक वेंचर कैपिटलिस्टों की तरह व्यवहार करेंगे.' भोगले कहते हैं, 'बड़े सितारों को भूल जाओ और उन अनजान चेहरों पर ध्यान दो, जिनके दाम हर आइपीएल बोलियों में बढ़ते गए हैं.' भोगले बताते हैं कि मालदार आइपीएल शुरू होने के बाद से 20 खिलाड़ियों के वेतन में दस गुना बढ़ोतरी हुई है, आठ खिलाड़ियों के दामों में 500 से 1,000 प्रतिशत, और 21 खिलाड़ियों के दामों में 100 से 500 प्रतिशत वृद्धि हुई है.

Advertisement

नए सितारों के उदय के साथ ही कुछ सितारे अस्त भी हुए हैं. गांगुली उनमें से एक हैं. उनकी विदाई के लिए एक आंसू आप भी गिरा दीजिए. कोलकाता के व्यापक प्रसार संख्या वाले आनंद बाजार पत्रिका ने गूढ़ टिप्पणी की, 'मौत के बाद जीवन नहीं होता.'

Advertisement
Advertisement