सायना नेहवाल ने बिल्कुल सही मौके पर स्विस ओपन खिताब जीता है. सायना को एक साल से चला आ रहा खिताबों का सूखा खत्म करने के साथ-साथ अपने लिए लंदन ओलंपिक के लिहाज से जरूरी आत्मविश्वास जुटाना था.
सायना ने यह काम चीनी वर्चस्व तोड़कर किया. वर्ष 2011 सायना के लिए काफी निराशाजनक रहा था. उस साल वह लगभग हर एक चीनी खिलाड़ी से हारी थीं. इनमें से ही दो को हराकर सायना ने बासेल में बीते सप्ताह खिताबी जीत दर्ज की थी.
इससे पहले सायना को चीनी खिलाड़ियों ने 11 मौकों पर हराया था. इनमें से चार बार विश्व की सर्वोच्च वरीयता प्राप्त खिलाड़ी यिहान वांग ने सायना को मात दी थी. यिहान को सायना कभी नहीं हरा सकी हैं.
बासेल में यिहान नहीं थीं लेकिन विश्व की तीसरी वरीयता प्राप्त चीनी खिलाड़ी शिजियान वांग की चुनौती सायना के सामने थे. इसे तोड़कर सायना ने न सिर्फ खिताब की रक्षा की बल्कि चीनी खिलाड़ियों के हाथों हारने का सिलसिला भी खत्म किया.
सायना ने साक्षात्कार में कहा, 'मैं कहना चाहूंगी कि यह जीत मेरे लिए काफी अहम है. इसने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया और अब मुझे लगता है कि मेरा खेल पहले से बेहतर हो गया है. मैं हमेशा से चीनी खिलाड़ियों को हराने के लिए प्रयासरत रही हूं. ऐसे में यह जीत लंदन ओलंपिक से ठीक पहले मिली है और यह काफी मायने रखती है.'
बीते साल सायना के लिए कुछ अच्छा नही हुआ. कोच पुलेला गोपीचंद के साथ उनका अलगाव हुआ लेकिन कुछ समय बाद बी वह फिर से गोपीचंद से जुड़ गईं. हैदराबाद के गोपीचंद अकादमी में उनका अभ्यास जारी रहा.
अपनी तैयारियों को लेकर सायना ने कहा, "गोपीचंद की देखरेख में मेरे खेल में काफी सुधार आया है. गोपी सर ने मेरे लिए लंदन ओलंपिक तक का कार्यक्रम तय कर दिया है. हम मुख्य तौर पर रफ्तार और अपनी ताकत बढ़ाने को लेकर काम कर रहे हैं. फिटनेस के स्तर पर मैं मुख्य तौर पर अपने पैरों की ताकत बढ़ाने का प्रयास कर रही हूं.'
चीनी खिलाड़ियों के साथ अपनी प्रतिद्वंद्विता को लेकर सायना ने कहा कि चीनी खिलाड़ियों के साथ खेलना हमेशा से कठिन रहा है.
सायना ने कहा, 'चीनी खिलाड़ी बहुत कठिन प्रतिद्वंद्वी होती हैं. सबसे मजेदार बात यह है कि सभी चीनी खिलाड़ी अलग तरह से खेलती हैं.'