पाकिस्तान के मुश्किलों में घिरे प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को कहा कि वह न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और अदालत की अवमानना के बारे में सोच भी नहीं सकते लेकिन जहां वह खड़े है उस स्थिति में उनकी सरकार राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को नहीं खोल सकती क्योंकि उन्हें पूरी तरह छूट प्राप्त है.
अदालत के नोटिस के बाद प्रधानमंत्री न्यायमूर्ति नासिल उल मुल्क की अध्यक्ष्ता वाली न्यायाधीशों की एक सात सदस्यीय पीठ के समक्ष पेश हुए. शीर्ष अदालत ने गिलानी को राहत देते हुए मामले को एक फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया और उन्हें भविष्य में व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने को लेकर छूट दे दी. गिलानी पद पर रहते हुए अदालत की अवमानना के लिए न्यायालय में पेश होने वाले दूसरे प्रधानमंत्री हैं.
प्रधानमंत्री की ओर से शीर्ष वकील एतजाज अहसन ने कहा कि वह अदालत की अवमानना के बारे में सोच भी नहीं सकते क्योंकि वह न्यायपालिका का सम्मान करते हैं.
जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को कहने संबंधी मुद्दे पर अपनी सरकार की स्थिति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के संविधान ने राष्ट्रपति को देश और विदेशों में पूरी छूट दी है.
गिलानी ने कहा कि उनकी सरकार देश के संविधान और कानून के मुताबिक काम करने के लिए बाध्य है. अहसन ने पीठ से कहा कि राष्ट्रपति को देश के संविधान और वियना समझौते दोनों के तहत छूट हासिल है. अहसन पाकिस्तान के जाने माने विधि विशेषज्ञों में से एक हैं.
उन्होंने आगे कहा कि शीर्ष अदालत सरकार पर स्विस सरकार को पत्र लिखने के लिए जोर नहीं डाल सकती, यह एक मजाक बन जाएगा और इस तरह की स्थिति बनेगी कि स्विस अधिकारी कहेंगे कि वे जरदारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें वियना समझौते के तहत सुरक्षा हासिल है.
पीठ ने शीर्ष अदालत के समक्ष पेश होने के गिलानी के फैसले की सराहना की. पीठ के सदस्य आसिफ खोसा ने कहा कि प्रधानमंत्री का अदालत के समक्ष पेश होना कानून की प्रधानता को दर्शाता है.
बहरहाल पीठ ने सवाल उठाया कि आम माफी संबंधी ‘राष्ट्रीय सुलह समझौते’ को वर्ष 2009 में रद्द कर दिए जाने संबंधी उसके पहले के आदेश के बावजूद सरकार ने जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड में धन शोधन के कथित मामलों को खोलने के लिए कार्रवाई क्यों नहीं की.
अहसन ने अदालत को बताया कि वर्तमान सुनवाई अदालत की अवमानना से संबंधित है और उनका उद्देश्य इस बात की दलील देना है कि प्रधानमंत्री ने अदालत की अवमानना नहीं की.
उन्होंने कहा कि अदालत के पहले के आदेश का पालन नहीं करने के कारणों पर विधि सचिव स्पष्टिकरण दे सकेंगे. गिलानी के पीठ के समक्ष पेश होने के मद्देनजर सत्तारूढ़ पाकिस्तानी गठबंधन के कई संघीय मंत्रियों सहित अनेक शीर्ष नेता कड़ी सुरक्षा के बीच सुप्रीम कोर्ट में मौजूद थे.
प्रधानमंत्री के समर्थन में अदालत में आने वालों में विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार, गृहमंत्री रहमान मलिक, आवामी नेशनल पार्टी के अफंदयार वली खान, पीएमएल क्यू के चौधरी शुजात हुसैन और पंजाब के गवर्नर लतीफ खोसा शामिल हैं. गिलानी को शीर्ष न्यायालय के आदेश पर जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले खोलने का आदेश नहीं देने के कारण सोमवार को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया गया था.
यह तीसरी बार है जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को शीर्ष अदालत ने अवमानना संबंधी नोटिस जारी किया. अन्य प्रधानमंत्री जिनके खिलाफ यह नोटिस जारी किया गया था उनमें जुल्फिकार अली भुट्टो और नवाज शरीफ शामिल हैं.
साढ़े नौ बजे अदालत की कार्यवाही के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा के तहत ‘रेड जोन’ को बंद कर दिया था, यही पर सुप्रीम कोर्ट और संसद तथा राष्ट्रपति भवन जैसी महत्वपूर्ण इमारतें हैं. तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे के लिए क्षेत्र में सैकड़ों पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिकों को तैनात किया गया था. शीर्ष अदालत के सामने वाली सड़क को आधी रात को ही बंद कर दिया गया था.
पाकिस्तानी और विदेशी मीडिया के करीब 100 लोगों को अदालत की सुनवाई की कवरेज के पास जारी किए गए थे.
जैसे ही हेलीकाप्टर ने शहर के मध्य में उपर से निगरानी की गिलानी की मोटरकारों का काफिला करीब 9.25 बजे प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास से थोड़ी दूरी पर स्थित सुप्रीम कोर्ट के लिए चला. गिलानी ने अपनी सफेद एसयूवी में अदालत परिसर में प्रवेश किया. प्रधानमंत्री के वकील आगे की सीट पर उनके साथ बैठे हुए थे. प्रधानमंत्री ने अंदर जाने से पहले अदालत के बाहर मौजूद लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया.