प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने भारत के फलते फूलते लोकतंत्र और पाकिस्तान से इसके ‘नितांत अलग’ होने का उल्लेख करते हुए दुख प्रकट किया कि उनके देश में किसी भी निर्वाचित सरकार को अपना कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया गया.
गिलानी ने पाकिस्तान में लोकतंत्र कायम रखने की महत्ता बताते हुए कहा कि संसद का कार्यकाल पूरा होना देश हित में है लेकिन अगले माह सीनेट का चुनाव कारने से उनकी सरकार को रोकने के लिये साजिश रची जा रही है.
उन्होंने राजधानी में एक सरकारी समारोह के इतर संवाददाताओं से कहा, ‘पाकिस्तान और भारत एक ही दिन अस्तित्व में आये लेकिन कैसे उन्होंने लोकतांत्रिक प्रणाली को आगे बढाया इसमें काफी अंतर है.’
गिलानी ने कहा, ‘लंबे अर्से से पाकिस्तान में किसी भी सरकार को उसका कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया गया. इसने देश के लिये कई समस्यायें उत्पन्न कीं. संसद का कार्यकाल पूरा होना देश हित में है.’
उन्होंने कहा कि संसद के उपरी सदन अथवा सीनेट के लिये चुनाव कराने में बाधा उत्पन्न करने के लिये ‘कई साजिशें ’ रचीं गयी जिससे सरकार के सामने कई दिक्कतें पेश आयीं.
गिलानी ने कहा, ‘अभी भी एक दल सीनेट के चुनाव रोकने के लिये अदालत चला गया. उनका इशारा इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ से था जिसने चुनाव रोकने के लिये उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. गिलानी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अगले माह निर्धारित 54 सदस्यीय सीनेट के चुनाव में बहुमत से विजयी होने की उम्मीद है.
पाकिस्तान में लोकतंत्र कभी भी संस्थागत रूप नहीं ले पाया क्योंकि 1958 के बाद से कई सैन्य तख्तापलट उसने देखे हैं. आखरी बार 1999 में यह नौबत आयी जब परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ की निर्वाचित सरकार को उखाड फेंका.
देश में कई दशक तक सैन्य शासन रहा है.