केंद्र सरकार में नीतिगत गतिहीनता की अवधारणा को खारिज करते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया महसूस करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय निवेश आकषिर्त करने के लिए सरकार को और कड़े फैसले के तहत पेट्रोलियम के दाम बढ़ाने चाहिए.
वह महसूस करते हैं कि लोगों को ईंधन के दाम बढ़ाये जाने के महत्व के बारे में बताया जाना चाहिए ताकि पेट्रोलियम क्षेत्र दिवालिया न हो जाए.
उन्होंने कहा कि मैं बिल्कुल ही ऐसा आशा करता हूं. निश्चित रूप से हम जो सभी सरकार को सलाह देंगे, वह यह है कि ऐसी दुनिया में भारत के पास अच्छा देखने के लिए विशाल अवसर है जो बहुत अनिश्चित है, और हमें अवसर नहीं गंवाना चाहिए. उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार अर्थव्यवस्था को उच्च विकास दर की राह पर ले जाने के लिए कड़े फैसले लेने को इच्छुक होगी.
उन्होंने वित्तीय विश्वसनीयता की बहाली, उचित से कम दाम वाले पेट्रोलियम उत्पाद पर कार्रवाई, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्रियान्वयन की बाधाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा कि यदि एक भी बाधा हटा ली जाती है तो इससे विश्वास बहाल होगा कि देश सही रास्ते पर है. अहूलवालिया ने कहा कि ईंधन सब्सिडी पर योजना आयोग में बिल्कुल स्पष्ट दृष्टिकोण है कि ईंधन के दाम को समायोजित किया जाए.
उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम के मामले में 80 फीसदी ईंधन का आयात किया जाता है. ऐसे में जो आप भुगतान कर रहे हैं वह यदि आप नहीं वसूल रहे हैं तो यह पेट्रोलियम क्षेत्र को दिवालिया बनाना है. या तो यह होगा या फिर बजट को सब्सिडी का बोझ उठाना होगा और दोनों में कोई भी सही नहीं है.