शांति प्रक्रिया को मजबूती देने के लिहाज से सरकार नौ अप्रैल को उल्फा से वार्ता करेगी ताकि असम की दशकों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान खोजने में मदद मिले.
केन्द्रीय गृह सचिव आर के सिंह और गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उल्फा के अध्यक्ष अरविन्द राजखोवा से बातचीत कर प्रतिबंधित संगठन की महत्वपूर्ण मांगों को लेकर मतभेद दूर करने की कोशिश करेंगे.
राजखोवा के नेतृत्व में उल्फा के शीर्ष नेता अपने मांगपत्र को लेकर चर्चा करेंगे. इनमें असम के लोगों के अधिकार और पहचान की सुरक्षा के सार्थक रास्ते खोजने के लिए संविधान में संशोधन का प्रस्ताव भी शामिल है.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि इसमें वार्ता समर्थक उल्फा गुट के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई पूरी तरह बंद करना और हथियार डालना शामिल है. उल्फा के साथ अप्रैल की वार्ता लगभग छह महीने बाद हो रही है. इससे पहले 2011 में 25 अक्तूबर को वार्ता हुई थी.
उल्फा का कमांडर इन चीफ परेश बरूआ हालांकि सरकार के साथ शांति वार्ता के एकदम खिलाफ है और उसने संप्रभु असम के लिए लडाई जारी रखने का ऐलान किया है.