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जमीन के लिए 'कुटिल अभियान' चला रही हैं सरकारें: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने अधिकारियों को इस बात के लिए फटकार लगाई कि वह भूमि अधिग्रहण पर ‘औपनिवेशिक कानून’ का फायदा उठाकर रईसों की झोली भरने के लिए किसानों को उनकी उपजाऊ कृषि भूमि से वंचित कर रहे हैं.

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उच्चतम न्यायालय ने अधिकारियों को इस बात के लिए फटकार लगाई कि वह भूमि अधिग्रहण पर ‘औपनिवेशिक कानून’ का फायदा उठाकर रईसों की झोली भरने के लिए किसानों को उनकी उपजाऊ कृषि भूमि से वंचित कर रहे हैं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि विभिन्न राज्य सरकारें कानून का फायदा उठाकर गरीबों से भूमि लेने और उसे बिल्डरों को देने का ‘कुटिल अभियान’ चला रही हैं, जहां मल्टीप्लेक्स, मॉल, पॉश रिहायशी परिसर विकसित किए जा रहे हैं, जो आम आदमी की पहुंच के बाहर हैं.

जब वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आवासीय परिसर जरूरतमंदों के लिए विकसित किए जा रहे हैं तो न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने कहा, ‘क्या आप सोचते हैं कि न्यायाधीश खाम खयाली (फूल्स पैराडाइज) में जीते हैं.’

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पीठ ने कहा, ‘आप होटलों, मॉल, वाणिज्यिक परिसरों, टाउनशिप का निर्माण कर रहे हैं जिसतक आम आदमी की पहुंच नहीं है. क्या यह सार्वजनिक उद्देश्य की धारणा के तहत आता है जिसके लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया है.’

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा में भूमि के इस्तेमाल में परिवर्तन किए जाने पर सवाल करते हुए कहा, ‘यह वो योजना नहीं है जिसके लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था. भूमि के इस्तेमाल में बदलाव के लिए कैसे अलग-अलग अधिसूचनाएं आईं.’ यह कठोर टिप्पणी पीठ ने ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और रियल एस्टेट डेवलपर्स और बिल्डरों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की. इन बिल्डरों में सुपरटेक और आम्रपाली भी शामिल हैं. इन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसने राष्ट्रीय राजधानी के पास स्थित ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण के लिए अधिसूचना को निरस्त कर दिया था.

पीठ ने स्पष्ट किया कि वह उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक नहीं लगाने जा रही है और पक्षों को सुनेगी.

पीठ ने कहा, ‘हम संकेत दे रहे हैं कि हम उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने को तैयार नहीं हैं. हम विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने को तैयार नहीं हैं.’

सुपरटेक की ओर से हाजिर हुए पीपी राव ने दावा किया कि आवासीय परिसरों का विकास जरूरतमंदों के लिए किया जा रहा है तो इसपर पीठ ने उनका ध्यान कंपनी की विवरणिका की ओर दिलाते हुए कहा, ‘इसमें क्या है. यह गरीब लोगों के लिए नहीं है.’ पीठ ने कहा, ‘आप अपनी विवरणिका को देखें. स्विमिंग पूल, स्पा, टेनिस कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, ब्यूटी पार्लर, आयुर्वेदिक मसाज आदि क्या ये सब गरीबों के लिए हैं.’

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पीठ ने कहा, ‘मैं आपकी विवरणिका से पढ़ रहा हूं. क्या यह आम आदमी के लिए है. भूमि ली जाती है और बिल्डर को दी जाती है. यह कुटिल योजना है.’ पीठ ने कहा, ‘भूमि विकास के लिए दी जाती है जो निश्चित तौर पर समावेशी होनी चाहिए. राज्य गरीबों के खिलाफ कानून का फायदा उठा रहा है. विभिन्न राज्य सरकारें कपटी अभियान चला रही हैं. राज्य बिल्कुल जनविरोधी काम कर रहा है.’

पीठ ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के उद्देश्यों को विफल किया जा रहा है. पीठ ने कहा कि जनहित में समाज के सबसे गरीब व्यक्ति को लाभ मिलना चाहिए लेकिन ‘आप (अधिकारी) इस तरह काम कर रहे हैं कि उन्हें (गरीब और आम आदमी) हटाया जा रहा है.’

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