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भारत के निवेश परिदृश्य में खुद सरकार है अड़चन: मूडीज

वैश्विक केडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज के विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर इस समय राजनीति हावी है और यही वजह है कि यह अपनी वास्तविक क्षमता से कम गति से वृद्धि कर रही है.

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वैश्विक केडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज के विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर इस समय राजनीति हावी है और यही वजह है कि यह अपनी वास्तविक क्षमता से कम गति से वृद्धि कर रही है.

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मूडीज़ ने केन्द्र सरकार को देश में व्यावसायिक गतिविधियों के मामले में ‘सबसे बड़ी अड़चन’ बताया. मूडीज की यह रिपोर्ट ऐसे समय आयी है जबकि बुधवार को ही उसकी ही तरह की एजेंसी एस एण्ड पी ने निवेश के लिए भारत की साख को स्थिर से नकारात्मक श्रेणी में डाल दी है.

मूडीज़ के वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक ग्लेन लेविन ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत का आर्थिक परिदृश्य अभी भी संभावनाओं से कम आंका जा रहा है और कमजोर प्रबंधन की वजह से इसकी आर्थिक वृद्धि उम्मीद से कम चल रही है. लेविन ने कहा, ‘भारत के आर्थिक परिदृश्य में सबसे बड़ा मुद्दा खुद भारत सरकार बनी हुई है. सभी अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक परिदृश्य को उसके राजनीतिक परिदृश्य से अलग करना असंभव होता है और भारत के मामले में यह विशेषतौर पर अहम मुद्दा है.’

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मूडीज की इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नरम वैश्विक परिस्थितियां, कमजोर निवेशक और व्यावसायिक विश्वास, सरकारी स्तर पर ढीलापन और कड़ी मौद्रिक नीति इन सभी का मांग पर असर पड़ा है. करीब-करीब सभी क्षेत्रों में धीमापन बना हुआ है और विनिर्माण और खनन क्षेत्र पर इसका सबसे ज्यादा असर है, इसके साथ ही निजी निवेश में भी चिंताजनक स्थिति देखी जा रही है.’

पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि 6.1 प्रतिशत रह गई थी. वर्ष 2008 के बाद यह सबसे धीमी वृद्धि थी. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कठिन राजनीतिक स्थिति को देखते हुये नरमी का जोखिम अभी भी अधिक है, हालांकि, कुछ उम्मीदें भी है, हमें उम्मीद है कि 2012 में आर्थिक वृद्धि तेज होगी लेकिन इसके 2013 की दूसरी छमाही तक पूरी क्षमता तक पहुंचने की उम्मीद नहीं दिखाई देती.’

मूडीज ने कहा है, ‘भारत सरकार ने सभी मौके गंवा दिये हैं और अब भूमि सुधार, ईंधन सब्सिडी, श्रम अधिकार और बहुचर्चित खुदरा क्षेत्र में सुधारों के विधेयक पर अब से अगले आम चुनाव 2014 तक किसी प्रगति की उम्मीद नहीं दिखाई देती है.’ मूडीज़ की इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ‘ऐसा बूढ़ा टैक्नोक्रेट बताया गया है जो कि खराब दौर से गुजर रही भारतीय राजनीति से थक चुके लगते हैं.’

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इसमें आगे कहा गया है संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के पास जरुरी सुधारों को आगे बढ़ाने के लिये पूरी संख्या नहीं है, अथवा उसके पास अहम सुधारों को आगे बढ़ाने वाले नेता नहीं रहे हैं. रिपोर्ट में भारत के राजनीतिक जोखिमों को भी इंगित किया गया है. चीन के साथ उसके तनाव की तरफ इशारा करते हुये कहा गया है कि हाल में लंबी दूरी वाली अग्नि मिसाइल परीक्षण इसका आभास देता है.

देशभर में माओवादी गतिविधियां भी उसके लिये खतरा बनी हुई हैं. देश के नौ राज्यों में इसका असर बढ़ रहा है. बहरहाल, रिजर्व बैंक की तरफ से उम्मीद से आगे बढ़कर नीतिगत दरों में आधा फीसद की कटौती किये जाने और मानसून बेहतर रहने की शुरुआती भविष्यवाणी भारत के लिये अच्छी खबरों में से हैं. आने वाले दिनों में इनका बेहतर असर दिखाई पड़ सकता है.

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