scorecardresearch
 

दिल्ली: नर्सरी में नामांकन की न्यूनतम उम्र 4 वर्ष हो

Advertisement
X

Advertisement


नयी दिल्ली,
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि नर्सरी कक्षा में बच्चों के नामांकन की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर चार वर्ष किया जाना चाहिए, जो अभी तीन वर्ष है. कपिल सिब्‍बल के साथ स्कूलों के प्राचार्यो और अभिभावकों के साथ बैठक में इस बात पर सहमति बनी है.

बैठक में हुई आम सहमति की घोषणा करते हुए कपिल सिब्‍बल ने कहा कि पहली कक्षा में नामांकन की न्यूनतम आयु छह वर्ष होनी चाहिए तथा आनौपचारिक शिक्षा (नर्सरी और केजी) को औपचारिक स्कूलों से बाहर संचालित किया जाना चाहिए.

सिब्बल ने कहा कि इन निर्णयों पर अमल के लिए वह मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को पत्र लिखेंगे. मानव सांधन विकास मंत्री ने कहा कि नर्सरी और केजी जैसे प्री. स्कूल कक्षाओं को औपचारिक स्कूली शिक्षा से अलग करने पर भी सहमति बनी.

Advertisement

उन्होंने कहा कि इस बात पर भी सहमति बनी कि अनौपचारिक शिक्षा की आधारभूत संरचना को अलग किये जाने की जरूरत है ताकि बच्चों से दबाव को कम किया जा सके.

सिब्बल ने कहा कि तीन वर्ष के बच्चे को स्कूल और अन्य बातों की कोई समझ नहीं होती है और उसपर अनावश्यक रूप से दबाव पड़ता है. इसके साथ ही अभिभावकों और स्कूल पर भी दबाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की लगभग 1.4 करोड़ जनसंख्या के हिसाब से स्कूलों की संख्या कम है और अभिभावकों में अपने बच्चे को अच्छे से अच्छे स्कूल में नामांकन कराने के लिए प्रतिस्पर्धा रहती है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है.

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि नर्सरी में नामांकन की न्यूनतम उम्र चार वर्ष करने पर सहमति बनी है, इसका अर्थ यह हुआ कि 4 से 5 वर्ष में नर्सरी, पांच से छह वर्ष में केजी और छह वर्ष के बाद पहली कक्षा में बच्चे का दाखिला हो. उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) में भी बुनियादी शिक्षा के लिए छह से 14 वर्ष की आयु निर्धारित की गई है.

सिब्बल ने कहा कि राज्य को इस संबंध में कानून बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरे पास इस विषय में कोई अधिकार नहीं है, लेकिन मैं शीला जी को पत्र लिखकर इस निर्णय को अमल में लाने का आग्रह करूंगा. उन्होंने कहा कि शीलाजी से इस विषय पर मेरी बातचीत भी हुई है और उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है कि इस पर ध्यान देंगी.

Advertisement

मंत्री ने कहा कि अनौपचारिक स्कूली शिक्षा (नर्सरी और केजी) को औपचारिक स्कूली शिक्षा से अलग रखने का उद्देश्य यह है कि बच्चों पर बिना वजह औपचारिक स्कूल के अनुशासन और कायदे कानून को लागू नहीं करना सुनिश्चित किया जाए.

Live TV

Advertisement
Advertisement