सरकार ने कहा कि अन्ना हजारे द्वारा उठाये गये मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, जिन पर संसद में गंभीर विचार विमर्श की जरूरत है लेकिन सदन में चर्चा के दौरान किसी तरह की आम राय बनने के बाद संसदीय स्थाई समिति उसे व्यवहार्यता, क्रियान्वयन क्षमता और संवैधानिकता के आलोक में देखेगी.
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वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने शनिवार को लोकसभा और राज्यसभा में लोकपाल के गठन पर दिये बयान में यह बात कही जिसके आधार पर दोनों सदनों में बाद में चर्चा शुरू हुई.
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हजारे से अनशन समाप्त करने का आग्रह करते हुए लोकसभा में सदन के नेता ने अपने वक्तव्य में कहा कि अन्ना हजारे द्वारा उठाये गये मुद्दे महत्वपूर्ण हैं. इन पर हमें गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. चर्चा के बाद आम सहमति बनने की स्थिति में संसदीय स्थाई समिति उसे व्यवहार्यता, क्रियान्वयन क्षमता और संवैधानिकता के आलोक में देखेगी.
अन्ना के आंदोलन पर आपकी भेजी तस्वीरें
मुखर्जी ने कहा कि मेरा मानना है कि सरकार ने भलीभांति यह प्रदर्शित किया है कि वह भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी की चिंताओं के प्रति संवेदनशील है. सरकार ने अन्ना हजारे जी से अनशन तोड़ने का अनुरोध करते हुए उन्हें आश्वस्त किया है कि उनके द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों पर स्थाई समिति लोकपाल विधेयक को अंतिम रूप देते हुए विचार विमर्श करेगी.
अन्ना के समर्थन में उतरा जनसैलाब
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार सरकारी दफ्तरों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए एक उचित विधेयक और प्रणाली लाने के लिए प्रतिबद्ध है.
मुखर्जी ने कहा कि अन्य मुद्दों के अलावा उन तीन मुद्दों पर चर्चा की जरूरत है, जो अन्ना हजारे ने उठाये हैं. इनमें केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने, सभी राज्यों में लोकायुक्तों का गठन करने और शिकायत निवारण प्रणाली का उल्लंघन करने वालों को दंडित करने का अधिकार लोकपाल को होने की मांगें हैं.
क्या है जन लोकपाल बिल?
मुखर्जी ने अपने बयान में गत पांच अप्रैल, 2011 को अन्ना हजारे के आमरण अनशन पर बैठने से लेकर संयुक्त मसौदा समिति के गठन तथा अब तक सरकार, विपक्ष व अन्ना पक्ष के बीच हुए संवाद और पूरे घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्योरा भी रखा.
बाद में उन्होंने राज्यसभा में यही बयान देने के साथ ही आगाह किया कि हालात काबू से बाहर हो रहे हैं और संसद को चाहिए कि इसका कोई जल्द समाधान निकाला जाए.