विवादास्पद लेखक सलमान रश्दी ने विख्यात इस्लामी संस्था दारूल उलूम देवबंद द्वारा उनकी भारत यात्रा के विरोध को दरकिनार करते हुए कहा कि उन्हें यहां आने के लिए किसी वीजा की जरूरत नहीं है. दूसरी ओर सरकार ने भी लेखक के दौरे पर किसी तरह की पाबंदी लगाने से इंकार कर दिया.
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि रश्दी भारतीय मूल के हैं और उनके पास पीआईओ कार्ड हैं, ऐसे में वह भारत का दौरा बिना वीजा के कर सकते हैं.
सूत्रों ने बताया कि पीआईओ कार्ड चूंकि भारतीय मूल के किसी व्यक्ति को बिना बाधा और बिना किसी दस्तावेज के भारत यात्रा का अधिकार देता है इसलिए रश्दी को भारत सरकार से किसी तरह का कोई वीजा आवेदन करने की जरूरत नहीं है. रश्दी को जयपुर साहित्य महोत्सव में शिरकत करनी है जो इस महीने के अंत में हो रहा है.
अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पीआईओ कार्ड पर रश्दी पहले भी भारत आ चुके हैं. हमने उन्हें कभी नहीं रोका. हम किसी पीआईओ कार्ड धारक को भविष्य में भारत आने से रोकने का इरादा नहीं रखते. पीआईओ कार्ड के अलावा भारतीय मूल के रश्दी के पास ब्रिटिश पासपोर्ट भी है.
इससे पहले रश्दी ने माइक्रोब्लांगिंग साइट ट्विटर पर लिखा है, ‘रिकार्ड के लिए मैं बताना चाहूंगा कि मेरी भारत यात्रा के लिए मुझे वीजा की जरूरत नहीं है.’ उनकी यात्रा का विरोध करते हुए संस्था ने कहा था कि भारत सरकार को उनका वीजा रद्द कर देना चाहिए क्योंकि उन्होंने विगत में मुस्लिमों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई है.
रश्दी (65) अपने उपन्यास ‘द सैटिनक वर्सेज’ को लेकर 1988 मे विवादों में आए थे और भारत ने इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने लेखक के खिलाफ मौत का फतवा जारी किया था.