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‎सरकार वोडाफोन को पैसा लौटाएगीः सलमान खुर्शीद

वोडाफोन कर मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि सरकार को फर्म को धन लौटाना पड़ेगा.

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सलमान खुर्शीद
सलमान खुर्शीद

वोडाफोन कर मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि सरकार को फर्म को धन लौटाना पड़ेगा.

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वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा मंगलवार की शाम को बुलाई गई प्रमुख मंत्रियों की बैठक के बाद खुर्शीद ने पत्रकारों को बताया, ‘मेरी जानकारी में कोई उपचारात्मक याचिका नहीं है. मैं मानता हूं कि सरकार को वोडाफोन को धन लौटाना पड़ेगा.’ उपचारात्मक याचिका सरकार के पास उपलब्ध आखिरी न्यायिक उपचार है. आनन-फानन में बुलाई गई बैठक में गृह मंत्री पी. चिदंबरम, दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल और अटार्नी जनरल जीई वाहनवती शामिल थे.

सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को दिए अपने निर्णय में बंबई हाई कोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए आयकर विभाग को वोडाफोन द्वारा जमा कराया गया 2,500 करोड़ रुपये 4 प्रतिशत ब्याज के साथ दो महीने के भीतर लौटाने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि वोडाफोन इंटरनेशनल और हचिसन ग्रुप के बीच हुए 12 अरब डालर के विदेशी सौदे पर 11,000 करोड़ रुपये कर लगाने का अधिकार आयकर विभाग के क्षेत्र में नहीं है.

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खुर्शीद ने कहा कि सरकार मौजूदा कानून के आधार पर एक कंपनी पर कर लगा सकती है.

सरकार ने आयकर कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसके तहत इस तरह के विलय एवं अधिग्रहण सौदों पर 1962 से कर लगाया जा सकेगा.

हालांकि, खुर्शीद ने कहा कि किसी को पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने को वित्त विधेयक के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए क्योंकि वित्त विधेयक का स्वतंत्र अस्तित्व है. ‘जब यह पारित हो जाएगा, एक नयी स्थिति पैदा होगी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हमें वित्त विधेयक पारित होने तक प्रतीक्षा करनी चाहिए और हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि वित्त विधेयक में एक प्रावधान का प्रस्ताव किया जा रहा है.’ सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा, ‘वास्तव में यह एक अच्छा निर्णय है. हम चाहते कि सरकार को इस कानून में संशोधन को आगे से प्रभावी करना चाहिए न कि पूर्व तिथि से. क्योंकि पीछे की तिथि से प्रभावी करने का मतलब उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ जाना है.’

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