लोकपाल बिल एक ऐसा मुद्दा जिसे लेकर सरकार और टीम अन्ना के बीच जंग अपने आखिरी दौर में है. सरकार भी ऐसा रास्ता निकालना चाहती है जिससे तीसरी बार कम से कम उसे टीम अन्ना की मांगों के सामने घुटने न टेकने पड़े. प्रधानमंत्री आवास 7 आरसीआर में सभी दलों की बैठक में भी लोकपाल बिल के मसले पर एक राय बनाने की कोशिश हुई.
मनमोहन सिंह ने सभी दलों के नेताओं से कई मुद्दों पर सकारात्मक रवैया अपनाने अपील की, ‘मैंने आप लोगों को लोकपाल बिल के मसले पर सहयोग के लिए बुलाया है. लोकपाल बिल के मसौदे पर पहले भी संसद में चर्चा हो चुकी है. स्टैंडिंग कमिटी ने लोकपाल बिल के आखिरी मसौदे पर काम पूरा कर लिया है. सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त लोकपाल बिल के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन ध्यान रखना होगा कि इससे हमारे लोक प्रशासन के आधारभूत ढांचे को हानि न पहुंचे. मैं चाहता हूं कि देश को आगे रखते हुए और पार्टी हितों से अलग हटकर लोकपाल का अहम बिल इसी सत्र में तमाम पार्टियों की आपसी सहमति से पास हो.’
प्रधानमंत्री ने बैठक में शामिल दूसरी पार्टी के नेताओं से सहयोग की अपील तो कर दी लेकिन प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी और सरकार के बीच तकरार के दो अहम मुद्दे अभी तक अनसुलझे दिख रहे हैं.
लोकपाल में सीबीआई और प्रधानमंत्री को शामिल करने का मामला. बीजेपी ने साफ कह दिया है कि सीबीआई से सरकारी नियंत्रण हटे और उसे लोकपाल की निगरानी में लाया जाए. साथ ही पीएम भी कुछ शर्तों के साथ लोकपाल के दायरे में शामिल हों. अब देखना है कि मतभेद के इन दो मसलों पर राजनीतिक पार्टियों में कितनी सहमति बन पाती है.
वहीं टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने ये भी फैसला किया है कि 20 दिसंबर को जब संसद में लोकपाल बिल पर बहस शुरू होगी तो टीम अन्ना भी दर्शक दीर्घा में मौजूद रहेगी.
टीम अन्ना के इस फैसले से साफ है कि वो बहस के दिन ये देखना चाहती है कि उनकी मांगों पर किस पार्टी का अंतिम रुख क्या है.