दिल्ली उच्च न्यायालय ने भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को घूसखोरी के मामले में मिली सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया. बंगारू ने निचली अदालत द्वारा उन्हें दोषी करार दिए जाने और सजा सुनाए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी.
लक्ष्मण की अपील पर सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने पांच जुलाई तक जवाब तलब किया हालांकि अदालत ने स्वास्थ्य आधार पर उनकी सजा को तुरंत निलंबित करने की बंगारू लक्ष्मण की गुहार ठुकरा दी.
निचली अदालत ने गत 28 अप्रैल को लक्ष्मण को चार वर्ष जेल की सजा सुनाई थी और उनपर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था. एक न्यूज पोर्टल ने बंगारू के खिलाफ स्टिंग आपरेशन चलाया था, जिसमें वह एक काल्पनिक रक्षा सौदे में घूस लेते हुए कैमरे के सामने पकड़े गए थे.
लक्ष्मण की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील संदीप सेठी ने न्यायमूर्ति गुप्ता के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल 72 वर्ष के हैं और उन्हें कई बीमारियां हैं.
लक्ष्मण को चिकित्सा आधार पर तुरंत रिहा करने की मांग करते हुए सेठी ने कहा कि उन्हें मधुमेह है और उनकी दो बार बाईपास सर्जरी हो चुकी है.
अदालत ने हालांकि कहा कि निचली अदालत के रिकार्ड का अध्ययन किए बिना वह इस मौके पर कोई आदेश नहीं दे सकती और मामले से जुड़े निचली अदालत के रिकार्ड तलब किए.
तिहाड़ जेल में करीब दस दिन बिताने के बाद लक्ष्मण ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां से उन्हें निराशा हाथ लगी.
लक्ष्मण ने सेना को थर्मल दूरबीन की आपूर्ति से जुड़ा एक अनुबंध दिलाने की सिफारिश रक्षा मंत्रालय से करने के बदले में स्टिंग आपरेशन के अंतर्गत उनके पास भेजे गए फर्जी शस्त्र डीलरों से कैमरे के सामने रिश्वत ली थी.