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..जहां मुस्लिम परिवार बनाते हैं कांवड़

हर साल करोड़ों कांवड़िये झारखंड के देवघर जिला स्थित विश्व प्रसिद्ध वैद्यनाथ धाम में बिहार के सुल्तानगंज में गंगा नदी से जल लेकर द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक का जलाभिषेक करते हैं.

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हर साल करोड़ों कांवड़िये झारखंड के देवघर जिला स्थित विश्व प्रसिद्ध वैद्यनाथ धाम में बिहार के सुल्तानगंज में गंगा नदी से जल लेकर द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक का जलाभिषेक करते हैं. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अधिकांश कांवड़ बिहार के मुस्लिम परिवार बनाते हैं और वे पीढ़ियों से यह काम करते आ रहे हैं.

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भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में बहने वाली उत्तरवाहिनी गंगा से जल लेकर कांवड़िये बाबा वैद्यनाथ धाम की यात्रा शुरू करते हैं और करीब 108 किलोमीटर की लम्बी यात्रा कर बाबा के दरबार में पहुंचते हैं.

सुल्तानगंज से कांवड़ यात्रा शुरू होने के कारण यहां कांवड़ों की बिक्री सबसे अधिक होती है. सुल्तानगंज में ऐसे करीब 25-30 मुस्लिम परिवार हैं, जिनका मुख्य काम कांवड़ बनाना ही है. वैसे तो इन कारीगरों द्वारा बनाए जाने वाले कांवड़ वर्षभर बिकते हैं, लेकिन सावन में बिक्री बढ़ जाती है.

कांवड़ बनाने के काम से जुड़े मोहम्मद कासिम ने कहा, 'मेरे पिताजी और दादा भी यह काम करते थे. हम पिछले 17 वर्षो से कांवड़ बनाकर परिवार का खर्च चला रहे हैं. सावन की तैयारी हम दो-तीन महीने पहले ही शुरू कर देते हैं. इस दौरान शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है. मैंने अपने पिता से यह कला सीखी थी.'

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उन्होंने कहा, 'कांवड़ निर्माण में बांस, मखमली कपड़े, घंटी, सीप की मूर्ति और प्लास्टिक के सांप का प्रयोग किया जाता है. कई महंगे कांवड़ों का भी निर्माण होता है, जिनमें कीमती सामग्री लगाई जाती हैं. सावन में यहां प्रतिदिन करीब एक लाख कांवड़ की बिक्री होती है.'

कांवड़ बनाने वाले एक अन्य कारीगर फखरुद्दीन ने कहा, 'यूं तो पूरे वर्ष कांवड़ों की बिक्री होती है, लेकिन सावन और भादो में इसकी बिक्री बढ़ जाती है. इसी दो माह की कमाई से मेरे परिवार का वर्षभर का गुजारा चलता है. कई बेरोजगार लोग सावन में यहां के बने कांवड़ खरीदकर कांवड़ की दुकान खोल लेते हैं.

बाजार में हर तरह के कांवड़ मौजूद हैं, जिनकी कीमत 250 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक है. इससे महंगे कांवड़ भी बाजार में मौजूद हैं. सुल्तानगंज में रहने वाले जावेद ने कहा कि यहां सावन हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमानों के लिए भी पावन महीना बन गया है. मुस्लिम समुदाय के युवक कांवड़ियों को सुविधाएं देने में कोई कसर नहीं छोड़ते.

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