मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को पिछले साल सत्ता विरोधी प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों की हत्या में संलिप्तता का दोषी पाते हुए एक अदालत ने शनिवार को पूर्व तानाशाह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
बीमार चल रहे 84 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति के अलावा पूर्व गृह मंत्री हबीब अल आदली को भी उम्रकैद की सजा सुनाई. हालांकि अदालत ने छह पूर्व पुलिस कमांडरों को बरी कर दिया. अदालत ने साथ ही मुबारक के बेटों अला और गमाल के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज कर दिया.
मिस्र में 18 दिन चले विद्रोह में 800 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी जिसके बाद 11 फरवरी 2011 को मुबारक को अपना पद छोड़ना पड़ा था. मुबारक और अल आदली को सजा सुनाते हुए न्यायाधीश अहमद रफात ने कहा कि 10 महीने चली यह सुनवाई निष्पक्ष रही.
उन्होंने कहा कि म्रिस की जनता को मुबारक के शासन में 30 साल तक कष्ट सहने पड़े. गृह मंत्रालय ने अदालत के परिसरों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किये थे. न्यू काहिरा की पुलिस अकादमी की दीवारों को चार मीटर बढ़ाया गया है और इसके ऊपर एक मीटर तक कांटेदार तार लगाये गये हैं.
अदालत ने साथ ही सुनवाई को कवर करने के लिए किसी अन्य को इजाजत नहीं दी और केवल सरकारी टेलीविजन को ही इसकी अनुमति थी. फैसला सुनाने के बाद, अदालत में विरोधी गुटों में हाथापाई देखने को मिली.