दुनिया का सबसे खूंखार आतंकवादी समंदर की गहराई में समा गया. लेकिन अपने पीछे वो कई राज़ छोड़ गया है. और इन्हीं में से एक है उसकी हवेली.
ओसामा की हवेली, वो हवेली जो न पहाड़ों की गुफाओं में है और न किसी सुनसान इलाके में. बल्कि ये हवेली बनी है पाकिस्तान आर्मी एकेडमी के बिल्कुल सीने पर.
डेढ़ बजे इस घड़ी की सुइयां बंद हो गयी हैं और यही वो वक्त है जबकि पाकिस्तान के एटबाबाद में एक बेहद रहस्यमयी कोठी में बेहद खौफनाक घटना घटी थी. अमावस की काली अंधेरी रात में उठे शोले छटने के बाद दिन के उजाले में आसपास के लोगों को ये इमारत बिल्कुल नयी लग रही थी जिसे वो पांच साल से रोज देख रहे थे.
इमारत के भीतर से ही दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी चलाता था अपना निजाम इस पर उन्हें भरोसा नहीं हो रहा था. पर ये सच्चाई है कि ओसामा बिन लादेन पिछले पांच साल से इसी घर में बंद था. अफगानिस्तान की पहाड़ियों में जहां अमेरिका उसके लिए खाक छान रहा था वहीं ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के निहायत महफूज एबटाबाद में बैठा था.
लाल रंग की कार में सवार होकर महज एक शख्स ही घर से निकलता था और हवेली के भीतर रहने वाले लोगों का इलाके के किसी शख्स से कोई राफ्ता नहीं था.
और जब इस घर के दरवाजे दुनिया के लिए खुले तो कांप गयी पूरी दुनिया. कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाने वाले ओसामा बिन लादेन के लिए ये घर बेहद इत्मीनान से बनाया गया था.
एक मशीन थी जिसके सामने खड़े शख्स की तस्वीर घर के भीतर बैठे लोगों को दिखायी पड़ती है और प्लास्टिक के डिब्बे में लगे माइक से घर के भीतर एक स्पीकर जुड़ा होता है जिससे बाहर की आवाजें अंदर जाती हैं.
लादेन की बेहद सुरक्षित इमारत का ये पहला सबूत है. अगर यहां से इजाजत मिलती थी तो अभी बंद ये लोहे का गेट खुलता था और आदमी खुद को एक गलियारे में खड़ा पाता था. और जब वो गलियारा खत्म होता था तो एक और लोहे का गेट मिलता था जो कि एक आंगननुमा जगह पर खुलता था और उसी आंगन से इस मुख्य इमारत के लिए रास्ता था.
इस घर में घुसा कोई भी शख्स बराबर घर की तीसरी मंजिल की नजर में रहता था.और ओसामा इस घर की तीसरी मंजिल में ही रहता था.यानि ओसामा हर हरकत पर खुद भी नजर रखता था.
जिस घर में ओसामा छिपा था उसकी दीवारें दोहरीं थीं और दोनो दीवारों के बीच में एक खास तरह का फोम और कुछ दूसरी चीजें भरी गयीं थीं. इस तरह से माना जा रहा है कि ये इमारत को साउंडप्रूफ और बुलेटप्रूफ बनाने का तरीका भी हो सकता है.
इस इमारत के चारो ओर सीसीटीवी कैमरे लगे थे जिनका कंट्रोल रूम सीधे ओसामा के पास था और सीसीटीवी भी यूं लगाए गए थे जो इस पूरी इमारत का हर कोना कवर रखते थे.
इमारत के भीतर धोखा देने वाली छतें बनायी गयीं थी और हमले के दौरान अमेरिकी कमांड़ों ने उन्हें खोज कर बेनकाब कर दिया है ऐसी ही एक फाल्स सीलिंग भी वहां थी.
रात के वक्त घर की सुरक्षा के लिए चारो ओर और खासकर गेट पर रौशनी के पुख्ता इंतजाम किए गए थे.पूरे घर के इर्द-गिर्द बिजली के लैंप थे. ओसामा के इस घर में एक दो नहीं कई टीवी सेट थे और ये थोड़े पुराने तरीके के थे पर इन पर तस्वीरें दिखाने का जरिया बेहद नया था. घर की छत पर लगी डीटीएच छतरी.यानि ओसामा बिन लादेन या फिर उसके साथ के लोग बराबर टीवी सेटस के जरिए बाहर की दुनिया से जुड़े रहते थे.
लादेन बीमार शख्स था. लिहाजा उसकी और घर में रहने वाले लोगों की सुविधा के लिए स्पिलिट एसी भी लगाए गए थे जिनकी कूलिंग यूनिट बाहर होती है और ठंड़ी हवा बिना ज्यादा शोर के अंदर कमरे में जाती थी.
ओसामा के इस ठिकाने में खाली पड़ी जमीन में बेहद मॉर्डन तरीके से ग्रीन हाउस बना कर सब्जियों की खेती होती थी. ग्रीन हाउस कवर तो हट गया है पर इसका ढांचा अब भी वहीं है. बंगले में सब्जियां भी उगाई जाती थी. खेतों के किनारे किनारे गांजे के पौधे बड़ी तादाद में मिले हैं.
ओसामा बिन लादेन ने दुधमुंहे बच्चों के लिए घऱ के भीतर एक गाय, एक भैंस पाल रखी थी. इसके अलावा दो खरगोश मिले हैं और एक कुत्ता भी. ओसामा के घर में बड़ी तादाद में क्रिकेट की गेंदें भी मिली हैं. ये गेंदे पड़ोस के बच्चों की हैं जो अगर घर के भीतर चली जातीं थीं तो बाहर नहीं आती थीं. इनके बदले बच्चों को गेट पर सौ से डेढ सौ रुपया दे दिया जाता था.
ओसामा के घर के भीतर कपड़े की गठरियों में बड़ी तादाद में गंदे कपड़े मिले हैं ऐसा लगता है जैसे सालों से कपड़े इकट्ठा किए गए हों. लगता है ओसामा अपने इस्तेमाल किए कपड़े फेंकता नहीं था और नहीं उन्हें खत्म करता था तभी तो यहां बड़ी तादाद में ये कपड़े इकट्ठा थे.वैसे कहा जाता है कि ओसामा अपने घर के कूड़े को बाहर नहीं फेंकता था घर के भीतर ही जला देता था. पर फिर भी उसके घर में काफी ज्यादा कूड़ा इकट्ठा था.
ओसमा की कोठी में फ़ोन नहीं थे, कोई इंटरनेट कनेक्शन नहीं था, लेकिन ऐसा नहीं है कि ओसामा आज की टेक्नोलॉजी से महरूम था. ओसामा के हाइटेक होने के सबूत भी इसी हवेली से ही मिले.
अमेरिकियों के मुताबिक लादेन सुरक्षा के लिए किसी ऐसी तकनीकी का इस्तेमाल नहीं करता था जिसे ट्रेस किया जा सके. पर अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को वजीरीस्तान कोठी के भीतर से 10 हार्ड ड्राइव, 5 कंप्यूटर, 100 से ज्यादा स्टोरेज डिवाइस मिली हैं. इसके अलावा ऑपरेशन के बाद जब लादेन की तलाशी ली गयी तो उसके कपड़े के भीतर दो फोन नंबर मिले थे. जेब में 50 यूरो थे.
इस तरह से दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी सूचना के लिए वो तमाम आधुनिक चीजें इस्तेमाल में लाता था जो आज आधुनिकता का प्रतीक मानी जाती है. पर ओसामा इस बात का ध्यान रखता था कि वो न तो इंटरनेट से जुड़ी हों और न ही उनकी फ्रिकवेंसी को पकड़ा जा सके. लादेन का ये तीन मंजिला मकान दो हजार गज में बना हुआ था.
इस घर में कुल 11 कमरे थे, इसमें पहली मंजिल में 4 कमरे थे, दूसरी मंजिल में भी 4 कमरे थे, तीसरी मंजिल में तीन कमरे थे. घर के भीतर थीं सारी सीढ़ियां, ऊंची दीवारों से घिरी बालकनी.
इस बेहद बड़े घर की तीसरी मंजिल में ओसामा बिन लादेन अपनी बेटी और बीवी की आंखों के सामने मौत के घाट उतारा गया. ओसामा के आतंक का ठिकाना जिस ठंडा चोहा इलाके में बना था उसके इर्द-गिर्द ज्यादातर अफगान मूल के लोग रहते थे. हालांकि स्थानीय लोगों से उसका कोई लेना देना नहीं था फिर भी ये बात महत्वपूर्ण है क्योंकि अफगानिस्तान में जिंदगी भर आतंक की फसल पैदा करने वाले लादेन को उन्हीं पर भरोसा था.
लादेन की इस हवेली में बड़ी तादाद में दवाएं मिली हैं. जैसा कि सबको पता है कि लादेन की किडनी खराब थीं और उसे बराबर डायलिसिस की जरूरत पड़ती थी. घर के भीतर मिले एक पासपोर्ट से पता चलता है कि एक यमन मूल की महिला डॉक्टर उसके साथ पिछले पांच साल से रह रही थी जो उसकी बीवियों में से एक थी. इसके अलावा लादेन के घर से मजहबीं किताबें बड़ी तादाद में मिली हैं जो कि शायद घर में रह रहे बच्चों या फिर लादेन के पढ़ने के काम आती रही होंगीं.
ओसामा की हवेली किसी तिलिस्म से कम नहीं थी. बाहर से शायद ही किसी को इस हवेली के बारे में कुछ पता चले. लेकिन अंदर बस यूं समझ लीजिए जैसे कि कोई भूल-भुलैया हो.
ओसामा की जिंदगी जितने रहस्यों से भरी थी, उसकी इस हवेली में उससे कहीं ज्यादा तिलिस्म भरे पड़े हैं. इस मकान को बाहर से देखने पर बस ऊंची-ऊंची दीवारें ही दिखेंगी. अंदर क्या है- किसी को कुछ नहीं पता. बाहर से कोई चाहकर भी अंदर के हालात को नहीं देख सकता.
दीवारों की इस सरहद की दूसरी तरफ जो इमारत खड़ी है, उसमें ही रहता था दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी ओसामा. इन दीवारों के पीछे आतंक का एक साम्राज्य था. आप हैरान रह जाएंगे ये देखकर कि अपनी इस हवेली में सुरक्षित रहने के लिए ओसामा बिन लादेन ने कितने खास तरह के उपाय कर रखे थे.
बंगले की दीवार का कुछ हिस्सा 12 फीट ऊंचा है. थोड़ी दूर के बाद ये ऊंचाई बढ़ जाती है. कहीं दीवार है 18 फीट की. जहां पर 18 फीट की ये दीवार है, वहां कुछ कमरे बने हुए हैं.
जहां अंदर के कमरे का कंस्ट्रक्शन खत्म होता है, वहां की दीवार की ऊंचाई फिर कम हो जाती है. कुछ दूर तक ये दीवार 13 फीट ऊंची है. ये दीवार आगे सीधी भी जाती है और अंदर की तरफ मुड़ भी जाती है. जो दीवार अंदर की तरफ मुड़ती है, उसकी ऊंचाई 11 फीट है. जिस अहाते में ओसामा बिन लादेन के रहने के लिए तिमंजिला इमारत बनी हुई है, वो चारों ओर से दीवारों से घिरी हुई है. गेट से सटी एक दीवार की ऊंचाई 12 फीट की है. जिस हिस्से से ओसामा का लेना-देना कम था, उस हिस्से की दीवार की ऊंचाई 10 फीट है.
गेट नंबर एक. इस गेट के बाद शुरू होती है एक लंबी गली. गली की दूसरी तरफ हैं 12 फीट ऊंची दीवार. लंबी गली के बाद आएगा गेट नंबर दो. लेकिन इस दरवाजे को पार करने के बाद भी लादेन के करीब नहीं पहुंच सकते थे. क्योंकि यहां के बाद आपको एक और छोटे गेट से निकलना पड़ता.
ओसामा बिन लादेन ने इस तिलिस्मी किले में रहने के लिए और भी खास तरह के इंतजाम किए हुए थे.
गेट नंबर एक पर लगा था कैमरा और माइक्रोफोन, जो हर आने वाले का चेहरा और आवाज पढ़ लेता था. गेट नंबर एक से अंदर आने पर पूरी गली में मकान की दूसरी और तीसरी मंजिल से रखी जा सकती थी नजर.
इसके अलावा मकान की खिड़कियां ऐसी थीं, जिसके अंदर से बाहर की हर हरकत पर नजर रह सकती थी. लेकिन बाहर से अंदर कुछ भी नहीं दिखता था. मकान दिखने से बेहद आम दिखता था. आम सी ही दिखने वाली दीवारें. आम से ही दिखने वाले इस मकान के अंदर ओसामा इस पूरी तैयारी के साथ रहता था कि किसी को इसकी भनक भी नहीं थी.
ओसामा के इस किले की दीवारों की मजबूती का अंदाजा लगाइए कि हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया और दीवार में बस एक दरार भर आई. कोई दूसरी दीवार रहती तो ना जाने उसका क्या हाल होता. लेकिन ओसामा ने इन दीवारों और मकान को बनाने की खास तरह के इंतजाम करवाए थे.
दीवारों में लगी थी सीमेंट की ईंटें. दीवारें दोहरी परत के बनी हुई थीं. दीवार की दो ईंटों के बीच फोम और दूसरी धातु भरी हुई थीं. मतलब इन दीवारों को एक तरह से बुलेटप्रूफ बनाया गया था.
ये ओसामा बिन लादेन का मकान था. उसी ओसामा का जो कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाता था. जाहिर है ये खास तौर पर तो बनाया ही गया था. इस तिलिस्मी मकान के अंदर और भी हैं रहस्य.
आतंक मतलब ओसामा, ओसामा मतलब आतंक. वो नाम जिसके नाम से आतंक भी कांप जाए लेकिन सील 6 कमांडोज़ को ओसामा की इसी हवेली में उसका एक नया चेहरा भी दिखाई दिया.
ओसामा के घर में हर तरफ आपको अभी खून ही खून दिखता है पर इस घर के ग्यारह कमरों में बहुत कुछ ऐसा था जिसे हैवान के घर में बसे इंसानों की दुनिया कहा जा सकता है. मसलन लादेन के साथ इस वजीरीस्तान हवेली में कुल 36 लोग रहते थे. इनमें से 23 बच्चे, 9 महिलाएं और चार पुरूष थे. इसमें से ओसामा की दो पत्नियां, दो बेटियां औऱ एक बेटा था. जिनमें से बेटा इब्राहिम मारा जा चुका है जबकि दो बेटियां 22 साल की अमरा और 26 साल की मरियम घायल हो गई, जिन्हें इलाज के बाद किसी गुप्त ठिकाने में भेज दिया गया है.
इसके अलावा घर में अशत खान और तारिक खान नाम के दो शख्स रहते थे जिन्हें लादेन का दूत माना जाता है और जो इस हमले में मारे गए. अशद और तारिक घर के दूसरे हिस्से में रहते थे. अशत की पत्नी और तीन बच्चे भी उसके साथ ही रहते थे. अशत ही घर की सारी खऱीददारी के लिए लाल रंग की गाड़ी से बाहर निकलता था.
बताया जाता है कि भारी भरकम जमीन के एक हिस्से में बनी आतंक की ये बेहद सुरक्षित पनाहगाह ठेके पर बनवायी गयी थी और पाकिस्तान में घर बनवाने वाले ठेकेदार को गिरफ्तार कर लिया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वजीरीस्तान कोठी को बनवाने में पैसा पानी की तरह बहाया गया. मजदूर को अनाप शनाप पैसा मजदूरी में दिया गया था.ये घर इलाके में आए एक भूकंप के बाद बना और जैसे ही घर बना इसमें रिहायिश शुरू हो गयी.
बताया जाता है कि घर में बाहर से दूध मंगाया जाता था तो वो किसी पड़ोसी के यहां रखा जाता था जिसे नदीम नाम का शख्स वजीरीस्तान हवेली के भीतर पहुंचाता था.