विवादास्पद लेखक सलमान रशदी ने विख्यात इस्लामी मदरसे दारूल उलूम देवबंद द्वारा उनकी भारत यात्रा के विरोध को दरकिनार करते हुए कहा कि उन्हें भारत आने के लिए किसी वीजा की जरूरत नहीं है.
रशदी ने माइक्रोब्लांगिंग साइट ट्विटर पर लिखा है, ‘रिकार्ड के लिए मैं बताना चाहूंगा कि मेरी भारत यात्रा के लिए मुझे वीजा की जरूरत नहीं है.’ उनकी यात्रा का विरोध करते हुए संस्था ने कहा था कि भारत सरकार को उनका वीजा रद्द कर देना चाहिए क्योंकि उन्होंने विगत में मुस्लिमों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई है.
भारतीय मूल के रशदी के पास ब्रिटिश पासपोर्ट है और वह पीआईओ (भारतीय मूल का व्यक्ति) कार्डधारक हैं. उनका इस महीने के अंत में जयपुर में आयोजित साहित्य सम्मान में शामिल होने का कार्यक्रम है.
रशदी (65) अपने उपन्यास ‘द सैटिनक वर्सेज’ को लेकर 1988 मे विवादों में आए थे और भारत ने इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने लेखक के खिलाफ मौत का फतवा जारी किया था.
जयपुर साहित्य समारोह का आयोजन कर रहे टीमवर्क्स प्रोडक्शंस के प्रबंध निदेशक संजय राय ने कहा, ‘जयपुर समारोह जैसा साहित्यिक मंच भारत की बेहतरीन लोकतांत्रिक परंपराओं में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अवसर प्रदान करता है.’ उन्होंने कहा कि सलमान रशदी पिछले कुछ वर्षों में भारत में कई साहित्यिक कार्यक्रमों में बिना किसी बाधा के शामिल होते रहे हैं.
इससे पहले रश्दी ने माइक्रोब्लांगिंग साइट ट्विटर पर लिखा है, ‘रिकार्ड के लिए मैं बताना चाहूंगा कि मेरी भारत यात्रा के लिए मुझे वीजा की जरूरत नहीं है.’ उनकी यात्रा का विरोध करते हुए संस्था ने कहा था कि भारत सरकार को उनका वीजा रद्द कर देना चाहिए क्योंकि उन्होंने विगत में मुस्लिमों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई है.
भारतीय मूल के रशदी के पास ब्रिटिश पासपोर्ट है और वह पीआईओ (भारतीय मूल का व्यक्ति) कार्डधारक हैं. उनका इस महीने के अंत में जयपुर में आयोजित साहित्य सम्मान में शामिल होने का कार्यक्रम है.
रश्दी (65) अपने उपन्यास ‘द सैटिनक वर्सेज’ को लेकर 1988 मे विवादों में आए थे और भारत ने इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने लेखक के खिलाफ मौत का फतवा जारी किया था.
जयपुर साहित्य समारोह का आयोजन कर रहे टीमवर्क्स प्रोडक्शंस के प्रबंध निदेशक संजय राय ने कहा, ‘जयपुर समारोह जैसा साहित्यिक मंच भारत की बेहतरीन लोकतांत्रिक परंपराओं में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अवसर प्रदान करता है.’ उन्होंने कहा कि सलमान रश्दी पिछले कुछ वषो’ में भारत में कई साहित्यिक कार्यक्रमों में बिना किसी बाधा के शामिल होते रहे हैं.
कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि विगत में भी समारोह में स्वच्छंदभाव वाले वक्ता शामिल होते रहे हैं. उन्होंने इस क्रम में सोमालियाई मूल के अय्यन हिरसी अली का नाम लिया.
चार दिनों तक चलने वाले इस समारोह की शुरुआत 20 जनवरी से हो रही है. बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक तीन दिन विभिन्न सत्रों में मौजूद रहेंगे. रश्दी इसके पहले 2007 में भी इस समारोह में शामिल हुए थे.