भारत की सबसे सफल महिला मुक्केबाज एम सी मैरीकॉम ने मंगोलिया में एशियाई चैंपियनशिप में बढ़े हुए भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा कि उन्होंने अपने आलोचकों को गलत साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
मैरीकॉम ने वापसी के बाद कहा, ‘पिछले एक साल में मेरे बारे में काफी बातें की गयी थी. कुछ ने कहा कि मेरा सर्वश्रेष्ठ समय बीत गया है और मैं दूसरी मुक्केबाजों का रास्ता रोक रही हूं लेकिन मुझे खुशी है कि मैं खुद को साबित करने में सफल रही,’
पांच बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम का 48 किग्रा के बजाय 51 किग्रा अपनाने के बाद यह पहला स्वर्ण पदक है. वह इससे खुश हैं लेकिन 2010 एशियाई खेलों में केवल कांस्य पदक हासिल करने के बाद उनकी जिस तरह से आलोचना की गयी उससे यह दो बच्चों की मां काफी परेशान भी थी.
चीन की रेन चानचन से एशियाई खेलों की हार का बदला चुकता करने वाले मैरीकॉम ने कहा, ‘मुझे अपने आलोचकों के सामने खुद का साबित करना था. कई लोगों ने कहा कि मुझमें अच्छा प्रदर्शन करने की ताकत नहीं है. मेरे लिये सामंजस्य बिठाना आसान नहीं था. इसमें संदेह नहीं कि नये भार वर्ग में तालमेल बिठाने में दिक्कत हुई लेकिन यह असंभव भी नहीं था और मैंने यह साबित कर दिया.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने काफी अच्छा और चालाकी से भरा खेल खेला,. मैंने अपने डिफेंस पर काफी मेहनत की थी और इसके साथ ही मुझे लगता है कि मेरे मूवमेंट में भी सुधार हुआ है. जिन लोगों ने भार वर्ग बदलने के बाद मेरी क्षमता पर संदेह जताया था उन्हें मैं बताना चाहती हूं कि मैं नये भार वर्ग में बहुत सहज महसूस कर रही हूं.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी कमजोरियों से पार पा लिया है.’मैरीकॉम से जब पूछा गया कि चानचन से पिछले मुकाबले की तुलना में इस बार क्या भिन्न था, उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि वह मुझसे थोड़ा डरी हुई थी. मेरी तकनीक भी बेहतर है.’