अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि एशियाई देशों के पास गहराते वैश्विक आर्थिक संकट के खिलाफ रणनीति बनाने का मौका है.
सूत्रों ने आईएमएफ के ब्लॉग पर लिखे एक लेख के हवाले से बताया कि वर्तमान में व्याप्त वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद एशिया लचीला सिद्ध हुआ है. एशिया अपनी मजबूत घरेलू मांग, अपेक्षाकृत कम बेरोजगारी दर और फैक्ट्रियों के पूर्ण क्षमता से उत्पादन करने की बड़ाई कर चुका है लेकिन 2012 में एशिया के लिए कठिनाई आने की सम्भावना है क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था मुख्यत: व्यापार पर निर्भर है.
एशिया विश्व के व्यापार पर निर्भर क्षेत्रों में गिना जाता है, जो धातु से लेकर चावल और इलेक्ट्रिक सामानों तक का निर्यात करता हैं. कमजोर मांग के कारण क्षेत्रीय वृद्धि पहले से ही मंद होनी शुरू हो गई है. खासतौर पर चीन एवं भारत में घरेलू आर्थिक नीतियां ने भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाई हैं. लेख के अनुसार वैश्विक वित्त बाजारों की समस्या एशिया में भी पहुंचनी शुरू हो गई है.
लेख में कहा गया कि यूरो क्षेत्र के संकट से एशिया में ऋण की उपलब्धता कम होगी. यूरो क्षेत्र के बैंक एशिया की बैंकिग व्यवस्था के लिए वित्त पोषण के प्रमुख स्रोत हैं. अगर कुछ देशों में वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत होती है तो उनकी तुलना में इस क्षेत्र में नीतियों को बनाने के लिए पर्याप्त समय है. कुछ देशों ने मौद्रिक नीतियों में नरमी लानी शुरू कर दी है.