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परमाणु क्षमतायुक्त आईएनएस चक्र राष्ट्र को समर्पित

परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र-2 को बुधवार को राष्ट्र को समर्पित करते हुए नौसेना में शामिल कर लिया गया. इसके साथ ही भारत परमाणु क्षमता युक्त पनडुब्बी वाला दुनिया का छठा देश बन गया है.

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परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र-2 को बुधवार को राष्ट्र को समर्पित करते हुए नौसेना में शामिल कर लिया गया. इसके साथ ही भारत परमाणु क्षमता युक्त पनडुब्बी वाला दुनिया का छठा देश बन गया है.

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मूल रूप से 'के-152 नेरपा' नाम से निर्मित अकुला-2 श्रेणी की इस पनडुब्बी को रूस से एक अरब डॉलर के सौदे पर 10 साल के लिए लिया गया है. नौसेना में शामिल करने से पहले इसका नाम बदलकर आईएनएस चक्र-2 कर दिया गया. रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने औपचारिक रूप से 8,000 टन वजनी इस पनडुब्बी को राष्ट्र को समर्पित किया और उम्मीद जताई कि इससे नौसेना की स्थिति मजबूत होगी.

उन्होंने कहा, 'हिंद महासागर क्षेत्र में भारत रणनीतिक केंद्र है. इस क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता आवश्यक है. भारत में नौसेना की उपस्थिति महत्वपूर्ण है.' एंटनी के मुताबिक, 'परमाणु क्षमता युक्त पनडुब्बी को नौसेना में शामिल करने से हमारी राष्ट्रीय व समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी. इससे नौसेना को समुद्री सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी.'

चीन और पाकिस्तान द्वारा अपनी समुद्री सुरक्षा में की जा रही वृद्धि के बीच रक्षा मंत्री ने इससे इनकार किया कि सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण या नौसेना में परमाणु क्षमता युक्त पनडुब्बी को शामिल करना किसी तरह की हथियार प्रतिस्‍पर्धा का हिस्सा है. उन्होंने कहा, 'भारत हथियारों की प्रतिस्पर्धा में यकीन नहीं करता. हम लड़ाकू राष्ट्र नहीं हैं. हम शांतिप्रिय राष्ट्र हैं.'

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आईएनएस चक्र-2 को नौसेना में शामिल करने के साथ ही भारत परमाणु क्षमता युक्त पनडुब्बी से सम्पन्न दुनिया के छह देशों की कतार में शामिल हो गया है. इससे पहले यह क्षमता सिर्फ अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन के पास थी. इस अवस पर नौसेना प्रमुख एडमिरल निर्मल वर्मा ने कहा, 'सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की दिशा में आईएनएस चक्र को नौसेना में शामिल करना एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे नौसेना की कार्य क्षमता में विस्तार होगा.'

इस अवसर पर रूस के राजदूत अलेक्सांद्र कदाकिन भी मौजूद थे. उन्होंने कहा, 'आज का दिन विशेष है. यह न केवल भारतीय सशस्त्र बलों के लिए मील का पत्थर है, बल्कि भारत तथा रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी का भी बेहतरीन उदाहरण है.'

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