भारत और चीन रक्षा मुद्दों पर बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाने पर गुरुवार को सहमत हुए. साथ ही दोनों देशों ने 2015 तक 100 अरब डालर के व्यापार लक्ष्य हासिल करने के लिये कदम उठाने को लेकर भी सहमति जतायी.
रियो प्लस 20 पर्यावरण शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा उनके चीनी समकक्ष वेन जिआबाओ के बीच करीब 40 मिनट चली बैठक में दोनों नेताओं ने बातचीत जारी रखने की जरूरत पर बल दिया.
बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए विदेश सचिव रंजन मथाई ने कहा कि व्यापार तथा आर्थिक सहयोग के मुद्दों पर बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने भारत में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के लिये चीनी निवेशकों को निमंत्रण दिया. मथाई ने यह भी कहा कि चीन को भारतीय चावल का निर्यात जल्दी ही शुरू होगा. वेन ने सिंह से कहा कि ब्राजील के साथ बैठक उनके बीच 13वीं बैठक थी. वेन का यह बयान दोनों नेताओं के बीच ‘अच्छे संबंध’ को प्रतिबिंबित करता है.
मथाई ने कहा कि दोनों नेताओं ने दोनों देशों की सरहदें पार कर बहने वाली नदियों के मुद्दे पर चर्चा की. चीन ने इस संबंध में सूचना भारत को देने पर सहमति जतायी. आधिकारिक सूत्रों ने नदियों के बारे में सूचना देने पर सहमति जताये जाने को अच्छा संकेत माना है.
विदेश सचिव ने कहा, ‘भारत तथा चीन के बीच रक्षा तथा रणनीतिक वार्ता जारी रहनी चाहिए और इसमें तेजी लायी जानी चाहिए.’ दोनों देश पहले ही शांति एवं समृद्धि के लिये रणनीतिक एवं सहयोगात्मक संबंध स्थापित किये जाने पर सहमति जता चुके हैं. दोनों देश नियमित स्तर पर निरंतर मंत्री स्तरीय बातचीत तथा रणनीतिक वार्ता तथा अन्य द्विपक्षीय बातचीत प्रणाली के पूरे उपयोग को लेकर भी रजामंदी जता चुके हैं.
सीमा मुद्दे पर मनमोहन सिंह तथा वेन जिआबाओ ने कहा कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों से अबतक किये गये संयुक्त कार्यों का ब्योरा तैयार करने को कहा गया है. दोनों नेताओं ने दोनों देशों द्वारा स्थापित संयुक्त व्यवस्था के मुद्दे पर भी बातचीत की.
मथाई ने द्विपक्षीय बैठक को अच्छा बताया. उन्होंने कहा कि दोनों देश 2015 तक 100 अरब डालर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. चीनी अधिकारी भारतीय बासमती चावल के आयात को हरी झंडी दिखा चुके हैं. इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच छह साल से बातचीत जारी थी. दोनों देशों के परीक्षण मानकों पर आपसी सहमति के बाद भारतीय निर्यातक चीन को बासमती चावल का निर्यात कर सकते हैं.
दोनों देशों में बहने वाली नदियों के मुद्दे पर चीन ने कहा कि तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर पनबिजली परियोजना से भारत में पानी का प्रवाह बाधित नहीं होगा. चीन ने यह भी कहा कि बांध इतना बड़ा नहीं है जिससे भारत जैसे नदी के निचले प्रवाह वाले क्षेत्र में पानी का प्रवाह बाधित हो. बहरहाल, अरूणाचल प्रदेश सरकार का कहना है कि राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी अचानक लगभग सूख गयी है.