भारत और ताजिकिस्तान ने पाकिस्तान की सरजमीं से पैदा होने वाले कट्टरपंथ को लेकर चिंता जाहिर की है.
ताजिकिस्तान के आधिकारिक दौरे पर आए विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने ताजिक राष्ट्रपति इमामली रहमान के साथ मुलाकात में द्विपक्षीय रिश्तों के साथ ही अफगानिस्तान और आतंकवाद विरोधी लड़ाई से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की.
दोनों नेताओं के बीच बैठक 40 मिनट प्रस्तावित थी, लेकिन यह सवा घंटे तक चली. इसे भारतीय अधिकारियों ने ‘अच्छा संकेत’ करार दिया.
ताजिक राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कृष्णा ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने अर्थव्यवस्था, रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की.’ उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कई मार्चों पर सहयोग संतोषजनक रहा है. अधिकारियों के मुताबिक दोनों नेताओं ने पाकिस्तान से पैदा होने वाले कट्टरपंथ को लेकर चिंता जताई.
कृष्णा ने पिछले दिनों नयी दिल्ली में हुए अफगान निवेश शिखर सम्मेलन के परिणाम के बारे में ताजिक राष्ट्रपति को जानकारी दी.
कृष्णा ने सोमवार को ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री हामरोखोन जरीफी के साथ संचार, ऊर्जा सहयोग और आतंकवाद विरोधी मामलों पर गहन बातचीत की थी.
भारत और ताजिकिस्तान ने अफगानिस्तान में स्थिरता सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया.
कृष्णा ने कहा कि ताजिक राष्ट्रपति रहमान की सितंबर में होने वाली यात्रा को लेकर भारत उत्सुक है. इससे पहले, कृष्णा ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में इस क्षेत्र के 11 देशों में कार्यरत भारतीय मिशनों के प्रमुखों को मंगलवार को संबोधित करते हुए ‘मध्य एशिया के साथ तारतम्य’ की नीति और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र के साथ भारत के संपर्क का उल्लेख किया.
उन्होंने प्राकृतिक संसाधन से परिपूर्ण इस क्षेत्र के साथ रिश्तों में सुधार हेतु ‘वाणिज्य, संपर्क, वाणिज्यदूत और समुदाय’ के स्तर पर संपर्कों को बढ़ाने पर बल दिया.
कृष्णा ने कहा, ‘हमें भारत के लिए यूरेशिया क्षेत्र के महत्व पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. इस क्षेत्र में तेजी से बदलाव आ रहा है. अब समय आ गया है कि हम राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र के प्रत्येक देश के साथ-साथ इस क्षेत्र के साथ संपर्क बढ़ाए.’ कृष्णा के मुताबिक यूरेशिया क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने में ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ निभा सकता है.