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बाहरी मदद के भरोसे नहीं रह सकता भारत: PM

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत जैसी विशाल अर्थव्यवस्था अपनी समस्याओं के हल के लिए बाहर से किसी बहुत बड़ी मदद की उम्मीद नहीं कर सकती, देश को अपनी समस्याओं का समाधान खुद निकालना होगा.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत जैसी विशाल अर्थव्यवस्था अपनी समस्याओं के हल के लिए बाहर से किसी बहुत बड़ी मदद की उम्मीद नहीं कर सकती, देश को अपनी समस्याओं का समाधान खुद निकालना होगा.

सिंह ने यह बात ऐसे समय की है जबकि घरेल अर्थव्यवस्था मुश्किलों में है और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार कुछ नए उपाय करने की तैयारी में दिखती है.

अपनी आठ दिन की विदेश यात्रा से वापस लौटते हुए अपने विशेष विमान में पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें खुद ही उपयुक्त कदम उठा कर अपनी अर्थव्यवस्था को समस्याओं से उबारना होगा.

मेक्सिको में जी-20 शिखर सम्मेलन और ब्राजील में रियो में पहले पृथ्वी सम्मेलन के 20 साल बाद आयोजित वैश्विक सम्मेलन में भाग लेने के बाद स्वदेश लौटते हुए सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिन की घटनाओं से उन्‍हें इस बात का पहले से कहीं अधिक यकीन हो गया है कि भारत जैसे आकार के देश के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय समाधान नहीं है.

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उन्होंने कहा कि हमें अपनी अर्थव्यवस्था की योजना इस सोच के साथ तैयार करनी होगी कि हमें कठिनाई के समय बाहर से इतनी बड़ी मदद नहीं मिलेगी कि हम उसके भरोसे संकट को पार कर जाएं.

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव में उतरने से पहले कल सरकार वित्तीय बाजारों का भरोसा बढ़ाने तथा अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कुछ उपायों की घोषणा कर सकती है. प्रधानमंत्री ने वादा किया कि राजकोषीय प्रबंधन की समस्या का हाल प्रभावी तथा विश्वसनीय तरीके से किया जाएगा. सिंह ने कहा कि भुगतान संतुलन के घाटे तथा चालू खाते के घाटे के प्रबंधन की कुछ समस्या है. इन समस्याओं को हल कर लिया जाएगा.

प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि इन चीजों पर विस्तार से बात करना मेरे लिए उचित नहीं होगा पर आपको भरोसा दिलाता हूं कि मैं इस बात को जानता हूं कि हमें वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने के लिए काम करना होगा. देश की जनता चाहती है कि भारत सरकार इस दिशा में काम करे. सिंह ने कहा कि भारत वित्तीय संतुलन कायम करने के लिए पहले से कहीं अधिक मेहनत करेगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें भुगतान संतुलन की समस्या तथा विदेशी निवेश के लिए माहौल बनाने के लिए व्यवस्थित तरीके से काम करना होगा. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और पोर्टफोलियो निवेश दोनों को बढ़ावा देने की जरूरत है.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय बहुत सी परेशानियों की जड़ भारत से बाहर है पर साथ में यह भी स्वीकार किया कि कुछ समस्याएं हमारे देश के अंदर की ही हैं. सिंह ने कहा कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से हमारी वृद्धि दर प्रभावित हुई. सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 9 से घटकर 6.7 प्रतिशत पर आ गई. अगले दो साल में हमारी स्थिति सुधरी, लेकिन फिर यूरो क्षेत्र का संकट आ गया. इससे कई विकासशील देशों से पूंजी निकाली गई.

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