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भारत ने आखिर में दिखाया दमखम, पदकों का बनाया रिकार्ड

एथलीटों, मुक्केबाजों और टेनिस खिलाड़ियों के एशियाई खेलों के अंतिम सात दिन में बेहतरीन प्रदर्शन से भारत हर चार साल में होने वाले खेल महाकुंभ में अब तक के सर्वाधिक पदक जीतने में सफल रहा.

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एथलीटों, मुक्केबाजों और टेनिस खिलाड़ियों के एशियाई खेलों के अंतिम सात दिन में बेहतरीन प्रदर्शन से भारत हर चार साल में होने वाले खेल महाकुंभ में अब तक के सर्वाधिक पदक जीतने में सफल रहा.

भारत ने कुल 14 स्वर्ण, 17 रजत और 33 कांस्य पदक सहित कुल 64 पदक जीते और इस तरह से दिल्ली में 1982 में जीत गये 57 पदक के अपने पिछले रिकार्ड को तोड़कर इतिहास रचा.

पदक तालिका में छठा स्थान भारत का 1986 में सोल एशियाई खेलों के बाद सर्वश्रेष्ठ है लेकिन तब कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान और पूर्व सोवियत संघ के देश नहीं हुआ करते थे जिनके आने से मुकाबला और कड़ा हो गया है. कजाखस्तान तो पदक तालिका में भारत से उपर रहा. भारत सोल में पांच स्वर्ण, नौ रजत और 23 कांस्य लेकर पांचवें स्थान पर रहा था.

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इसके बाद भारत कभी आठ से उपर नहीं पहुंचा पाया. बीजिंग में 1990 में तो वह केवल एक स्वर्ण पदक जीत पाया था और 12वें स्थान पर रहा था. भारत के 64 पदक हालांकि पिछले महीने राष्ट्रमंडल खेलों के 101 पदक के सामने काफी कम हैं जिसमें 38 स्वर्ण पदक भी शामिल हैं.

लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों के तुरंत बाद ही एशियाई खेल शुरू हो गये और इसमें मुकाबला भी काफी कड़ा था तथा प्रतियोगिताएं भी अधिक थी. मेजबान चीन ने लगभग 200 स्वर्ण जीते और 1990 के अपने रिकार्ड 183 स्वर्ण, 107 रजत और 51 कांस्य पदक सहित 341 पदक के रिकार्ड को पीछे छोड़ने में सफल रहा.

भारत के निशानेबाज और पहलवान बुरी तरह असफल रहे जबकि एथलीट, मुक्केबाज, टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देववर्मन तथा महिला व पुरुष कबड्डी टीम ने चमकदार प्रदर्शन किया.{mospagebreak}

तीरंदाज तरूणदीप राय ने भारत को रजत के रूप में पहला व्यक्तिगत पदक दिलाया जबकि ताखड़ ने अपनी स्पर्धा में उधार ली हुई नाव से भारत को पहला स्वर्ण पदक दिया. जिमनास्ट आशीष कुमार ने फ्लोर स्पर्धा में देश को पहला कांसा दिलाकर इस सफलता की शुरूआत की और तैराक वीरधवल खाड़े का प्रदर्शन भी यादगार रहा.

खाड़े ने पुरूष 50 मी बटरफ्लाई का कांसा जीतकर 1986 सोल खेलों के बाद पूल में भारत को पहला पदक दिलाया. तब खजान सिंह टोकस ने 200 मी फ्लाई में रजत पदक जीता था.

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भारत ने चीनी मार्शल आर्ट वुशु जैसे खेल में भी चार कांसे अपने नाम किये, जो देश में काफी कम खेला जाता है जबकि एशियाई खेलों में पहली बार शामिल हुए रोलरस्केटिंग में भी भारत ने दो कांस्य जीते .

फ्रीस्टाइल पहलवानों के सुपर फ्लाप शो के अलावा पुरूष हाकी टीम भी तीसरे स्थान पर रही, जिससे स्वर्ण पदक की उम्मीद की जा रही थी.

राष्ट्रमंडल खेलों में दो स्वर्ण जीतने वाली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल भी फ्लाप सूची में शामिल रहीं. 14 स्वर्ण में से एथलीटों ने सर्वाधिक पांच जबकि मुक्केबाजी, टेनिस और पुरूष तथा महिला कबड्डी में दो दो सोने के तमगे हासिल किये.

पंकज आडवाणी (बिलियर्डस) ने भारत को यहां पहला स्वर्ण दिलाया, जिसके बाद शीर्ष निशानेबाज रोंजन सोढी और रोअर बजरंग लाल ताखड़ ने पहला स्थान हासिल किया. अश्विनी चिदानंदा महिला 400 मी बाधा दौड़ और चार गुणा 400 मी रिले में दो स्वर्ण पदक जीतकर एथलेटिक्स की नयी ‘गोल्डन गर्ल’ बन गयी.{mospagebreak}

अनुभवी धाविका प्रीजा श्रीधरन और सुधा सिंह ने महिलाओं की क्रमश: 10,000 मी और 3,000 मी में स्वर्ण जीते . केरल के जोसफ अब्रहाम ने 28 साल के बाद देश को बाधा दौड़ का पहला पदक दिलाया. इससे पहले 1982 एशियाड में चार्ल्स ब्रोमियो ने 800 मीटर बाधा दौड में पदक जीता था.

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एथलेटिक्स में भारत ने पांच स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक जीते जो अब तक का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है इससे पहले इन खेलों में भारत का एथलेटिक्स स्पर्धाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 बुसान खेलों में रहा था जहां उसने सात स्वर्ण छह रजत और पांच कांस्य सहित 17 पदक जीते थे.

भारतीय स्टार मुक्केबाज विजेन्दर ने भारतीय अभियान को एक नयी चमक दी. उन्होंने दो बार के विश्व चैम्पियन उज्बेकिस्तान के अब्बोस एतोव को हरा कर स्वर्ण पदक जीता.

युवा मुक्केबाज विकास कृष्ण ने 60 किलो वर्ग में सबसे बड़ा उलटफेर करते हुए खिताब जीता. लंदन ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने का सपना देख रहे विश्व जूनियर और युवा ओलम्पिक चैम्पियन विकास के शानदार प्रदर्शन से भारत ने मुक्केबाजी (महिला और पुरूष) में कुल दो स्वर्ण, तीन रजत और चार कांस्य पदक जीते. पुरूष मुक्केबाज सुरंजय सिंह (52 किलो) और पांच बार की महिला विश्व चैम्पियन एमसी मरीकाम से स्वर्ण पदक की उम्मीद थी, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके.

टेनिस में त्रिपुरा में जन्में युवा खिलाड़ी सोमदेव ने एकल के अलावा युगल मुकाबले का स्वर्ण खिताब जीता. सोमदेव ने एक सप्ताह में 15 मैच खेले जो बहुत बड़ी उपलब्धि है. टेनिस में भारत ने दो स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक जीते.

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दो बार के पूर्व विश्व चैम्पियन पंकज आडवाणी ने एक बार फिर स्वर्ण पदक जीत कर भारत को इन खेलों में पहले दिन अच्छी शुरूआत दिलाई जबकि इसके बाद निशानेबाज सोढी ने पुरूषों का ट्रैप खिताब और फिर अप्रत्याशित स्वर्ण पदक नौकायन में ताखड ने दिलाया.

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