मालदीव में संकट गहराने के बीच भारत ने शुक्रवार को वहां की राजनीतिक पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क किया और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपना विशेष दूत भेजा तथा बातचीत के जरिए समस्या के हल पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्रालय में सचिव एम गणपति को विशेष दूत के तौर पर मालदीव भेजा. वह वहां की स्थिति का आकलन करने के साथ ही सभी पक्षों की बात सुनेंगे. उल्लेखनीय है कि मुहम्मद नशीद को इसी हफ्ते राष्ट्रपति पद से अपदस्थ कर दिया गया था.
सिंह ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि मामला शांतिपूर्ण वार्ता के जरिए सुलझ सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास इस दिशा में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना होगा. नशीद
ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति मुहम्मद वहीद हसन के लिए राष्ट्रपति पद छोड़ दिया था. बाद में उन्होंने दावा किया कि उन्हें हथियारों का भय दिखाकर इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया
था. गणपति ने नशीद और उनके उत्तराधिकारी वहीद से भेंट की और देश में राष्ट्रीय एकता सरकार गठित किए जाने संबंधी भारत की इच्छा से उन्हें अवगत कराया.
सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत का मानना है कि नशीद का तख्तापलट नहीं किया गया जैसा कि वह दावा कर रहे हैं बल्कि उन्होंने चल रहे हिंसक प्रदर्शनों के कारण पद छोड़ा. सूत्रों ने यह
भी कहा कि संसद में नशीद के पास बहुमत नहीं है और बहुमत नहीं होने के कारण उन्हें अपने कई फैसलों को स्थगित करना पड़ा था.
सूत्रों ने बताया कि सोमवार को माले में भारतीय उच्चायुक्त के साथ बातचीत में उन्होंने किसी विद्रोह का जिक्र नहीं किया था. उन्होंने कहा कि एक दिन बाद ही नशीद ने भारतीय उच्चायुक्त
से कहा कि उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया है क्योंकि उन्हें लगता है कि संकट का यह सर्वश्रेष्ठ हल है.
अमेरिका की यात्रा पर गए विदेश सचिव रंजन मथाई ने भी वाशिंगटन में अपने समकक्षों को मालदीव की स्थिति से अवगत कराया. लंदन में कुछ देर ठहरने के दौरान उन्होंने ब्रिटिश
अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया.
अमेरिका ने मालदीव में हुए परिवर्तन को वैध करार दिया है. अमेरिका और ब्रिटेन दोनों भारत के इस रूख से सहमत थे कि यह मालदीव का आंतरिक मामला है और शांतिपूर्वक एवं
लोकतांत्रिक तरीके से इसका हल किया जाना चाहिए.
वर्ष 1988 की तरह सैन्य मदद के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि वह मदद अलग परिस्थिति में की गयी थी और तत्कालीन राष्ट्रपति एम अब्दुल गयूम ने औपचारिक रूप से भारत
से मदद मांगी थी. उन्होंने कहा कि इस बार वैसा कोई आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि इसके लिए मजबूत कानूनी आधार भी होना चाहिए.
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने नशीद को शरण देने का वादा किया है, सूत्रों ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति को किसी भी प्रकार की मदद का आश्वासन दिया गया है.