तमाम झंझावातों के बीच छात्रों के लिए सस्ता लैपटाप मुहैया कराने की सरकार की योजना, परिकल्पना के छह वर्ष बाद बुधवार को तब मुकाम तक पहुंच गई जब ‘आकाश’ को औपचारिक रूप से पेश किया गया जिनकी कीमत 2,276 रुपये रखी गई है.
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इस उपकरण को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की राष्ट्रीय स्कूली शिक्षा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी नीति (एनएसईआईसीटी) और आईआईटी राजस्थान के सहयोग से तैयार किया गया है जिसका निर्माण ‘डाटाविंड’ नामक कंपनी ने किया है. इसी परियोजना को फरवरी 2009 में हरी झंडी दिखाई गई थी और इस उद्देश्य के लिए 4,612 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था.
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मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ‘इस टैबलेट लैपटाप की कीमत करीब 1,500 रुपये निर्धारित की गई थी लेकिन अभी इसकी कीमत 2,276 रुपये हो गई है. सरकार इस पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान करेगी और अभी यह छात्रों को करीब 1,100 रुपये में उपलब्ध होगा.’
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यह लैपटाप किसी स्टॉल पर उपलब्ध नहीं होगा बल्कि राज्य सरकारों और शैक्षणिक संस्थाओं के माध्यम से छात्रों को मिलेगा. प्रारंभ में इस परियोजना के तहत 10 डालर में छात्रों के लिए लैपटाप तैयार करने की योजना बनाई गई थी जो बाद में 35 डालर रखी गई हालांकि वर्तमान में इसकी लागत 49 डालर आई है.
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सिब्बल ने कहा, ‘सस्ते टैबलेट लैपटाप का सपना साकार होने की घटना भारत के इतिहास में मील का पत्थर है. हम चाहते हैं कि यह केवल भारत के छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया में अन्य देशों के छात्रों के लिए भी सुगम हो.’
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उपकरण निर्माता डाटाविंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनीत कुमार तुली ने कहा, ‘अभी उनकी कंपनी को एक लाख टैबलेट तैयार करने का अनुबंध मिला है जिसकी कीमत 2,276 रुपये निर्धारित की गई है. लेकिन 10 लाख टैबलेट तैयार करना हो तो इसकी कीमत घटकर प्रति टैबलेट 1,750 रुपये हो जायेगी.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एन के सिन्हा के नेतृत्व में यह उपकरण भारत में तैयार किया गया है हालांकि इसके अनेक कलपुर्जे अलग अलग देशों से प्राप्त किये गए हैं. लैपटाप के 29 प्रतिशत कलपुर्जे दक्षिण कोरिया से, 24 प्रतिशत चीन से, 16 प्रतिशत अमेरिका से एवं पांच प्रतिशत अन्य देशों से प्राप्त किए गए है. इसके 16 प्रतिशत कलपुर्जे भारतीय हैं.
आईआईटी राजस्थान के निदेशक डा. प्रेम कालरा ने कहा कि हर राज्य से पांच-पांच राज्य संयोजक चुने गए हैं और उन्हें यह उपकरण परीक्षण के लिए प्रदान किये गए हैं. इन संयोजकों को 45 दिनों में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है. सिब्बल ने कहा कि साल 2020 तक 30 प्रतिशत सकल नामांकन दर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह पहल महत्वपूर्ण साबित होगी जिसके जरिये शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जा सकेगा. इस सस्ते लैपटाप के नाम के बारे में कई सुझाव सामने आए और ‘आकाश’ पर आमसहमति बनी.
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मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने एक समारोह में 500 छात्रों को सस्ता लैपटाप प्रदान किया जायेगा. लैपटाप में हार्ड डिस्क तो नहीं है लेकिन इसे 32 जीबी के बाहरी हार्ड ड्राइव से जोड़ा जा सकता है. लिनक्स आधारित इस उपकरण में ब्राडबैंड इंटरनेट, वीडियो कांफ्रेंसिग, मीडिया प्लेयर भी उपलब्ध है. मंत्रालय का कहना है कि 2,276 रुपये का होने के बावजूद यह सस्ता लैपटाप है जिसकी 50 प्रतिशत लागत केंद्र सरकार वहन करेगी. छात्रों को इसके लिए 1,100 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा. प्रत्येक राज्य को प्रथम चरण के तहत ऐसे 3,300 लैपटाप प्रदान किये जायेंगे.
मैसेच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एमआईटी) के 100 डालर की लैपटाप परियोजना की तर्ज पर मानव संसाधन मंत्रालय ने 2005 में इस योजना की परिकल्पना की थी. सात इंच के इस टच स्क्रीन लैपटाप में दो यूएसबी का पोर्ट है और इसकी बैटरी में तीन घंटे कार्य करने की क्षमता है. यह लैपटाप सौर ऊर्जा के उपयोग से भी चल सकता है.
इस उपकरण में वर्ड, एक्सेल, पावर प्वायंट, पीडीएफ, ओपेन आफिस, वेब ब्राउजर और जावा स्क्रिप्ट भी संलग्न है. इसमें जिप-अनजिप तथा वीडियो स्ट्रीमिंग सुविधा भी है. इंटरनेट सुविधा से लैस इस उपकरण में मीडिया प्लेयर, वीडियो कांफ्रेंसिंग और मल्टी मीडिया कंटेन्ट सुविधा उपलब्ध है. यह लैपटाप कठिन परिस्थितियों में भी काम कर सकता है. छात्रों को सस्ते लैपटाप मुहैया कराने की कवायद काफी कठिन रही.
पिछले वर्ष निविदा के अनुरूप जिस कंपनी को एक लाख लैपटाप तैयार करने का आर्डर दिया गया था, उसे एक बड़ी कंपनी ने खरीद लिया था. इसके बाद आर्डर को रद्द कर दिया गया और फिर से निविदा जारी की गई. मंत्रालय को 10 हजार लैपटाप की खेप प्राप्त हो गई है. इस परियोजना की परिकल्पना के मुताबिक मंत्रालय ने इस लैपटाप की कीमत 35 डालर (1,500 रुपये) निर्धारित की थी हालांकि अब इसकी कीमत बढ़कर 2,276 रुपये हो गई है.