भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से बनाया जा रही हाइपरसोनिक ब्रह्मोस 2 क्रूज मिसाइल का प्रारूप 2017 तक परीक्षण के लिए तैयार हो जाएगा. भारत और रूस के बीच हाल ही में हाइपरसोनिक ब्रह्मोस 2 मिसाइल को बनाने को लेकर सहमति बनी थी, जिसकी उड़ान गति पांच से सात मैक होगी.
'द रशियन-इंडियन ज्वाइंट वेंचर ब्रह्मोस एयरोस्पेस' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिवाथानु पिल्लई ने कहा, 'मुझे लगता है हमें पूरी तरह से काम करने वाले पहले हाइपरसोनिक मिसाइल के प्रारूप को तैयार करने में पांच साल लगेंगे. हमने पहले से ही 6.5 मैक की गति के कई परीक्षण प्रयोगशालाओं में किए हैं.'
पिल्लई ने कहा कि ये मिसाइल तीन अलग-अलग रूप में बनेंगे- सतह, हवा और समुद्र से प्रक्षेपण करने वाला. उन्होंने कहा कि ये मिसाइल केवल भारत और रूस को ही निर्यात किए जाएंगे. इनकी आपूर्ति किसी अन्य देश को नहीं होगी.
ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है. यह 300 किलोग्राम तक परम्परागत युद्ध सामग्री ले जा सकती है.
समुद्र और सतह से मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण सफलतापूर्वक किया और इसे भारतीय सेना और नौ सेना में शामिल किया जा चुका है. हवा से मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण 2012 के अंत तक हो जाएगा.
भारतीय वायु सेना 40 सू-30 एमकेआई फ्लेंकर-एच लड़ाकू विमानों को ब्रह्मोस मिसाइल के साथ सुसज्जित करने की योजना बना रही है.