देश के औद्योगिक उत्पादन में मई में 2.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इस महीने विनिर्माण क्षेत्र एवं विद्युत उत्पादन में अच्छी वृद्धि रही. विश्लेषकों का हालांकि मानना है कि औद्योगिक क्षेत्र में निकट भविष्य में तेजी लौटने (रिकवरी) के कम ही आसार हैं. गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल महीने में औद्योगिक उत्पादन में 0.9 फीसदी गिरावट रही थी.
मौजूदा कारोबारी साल के पहले दो महीने यानी अप्रैल और मई महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 0.8 फीसदी वृद्धि रही. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक आलोच्य अवधि में विद्युत उत्पादन में मई में 5.9 फीसदी तथा विनिर्माण क्षेत्र में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए आर्थिक मामलों के सचिव आर. गोपालन ने कहा कि मई में औद्योगिक उत्पादन और खासकर कपड़े जैसे कुछ क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि रही. उन्होंने कहा, 'सुधार दिखा है. पिछले दो महीनों में औद्योगिक उत्पादन दर नकारात्मक थी.'
पिछले लगातार दो महीनों में औद्योगिक उत्पादन में 0.9 फीसदी और 3.5 फीसदी की गिरावट रही थी. योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने हालांकि कहा कि औद्योगिक उत्पादन इतना नहीं बढ़ा है कि तेजी की वापसी का कोई संकेत मिले. अहलूवालिया ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि इस वृद्धि से तेजी की वापसी का संकेत मिलता है. यह अच्छा समाचार है, लेकिन बहुत अच्छा समाचार नहीं है.'
फिच रेटिंग इंडिया के निदेशक देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि मई में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर हालांकि अप्रैल से बेहतर रही, लेकिन यह अभी भी कम है, जिससे निकट भविष्य में तेजी वापस लौटने की कम उम्मीद दिखती है.
पंत ने कहा, 'अब यहां से आगे निवेश में वृद्धि और औद्योगिक तेजी इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार नीतिगत मुद्दों से सम्बंधित समस्याओं का कितनी जल्दी निपटारा करती है. इस महीने के आखिर में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा पर औद्योगिक विकास दर का कम और महंगाई का असर अधिक रहेगा.'