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अप्रैल में औद्योगिक वृद्धि दर गिर कर 0.1 फीसदी हुई

स्टैंडर्ड एंड पुअर्स द्वारा भारत में आर्थिक सुधार न होने पर देश की वित्तीय साख नकारत्मक करने की चेतावनी दिए जाने के एक दिन बाद जारी सरकारी आंकड़े में अप्रैल की औद्योगिक वृद्धि दर घटकर 0.1 फीसदी रह गयी जो अर्थव्यवथा में नरमी का एक और संकेत है.

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स्टैंडर्ड एंड पुअर्स द्वारा भारत में आर्थिक सुधार न होने पर देश की वित्तीय साख नकारत्मक करने की चेतावनी दिए जाने के एक दिन बाद जारी सरकारी आंकड़े में अप्रैल की औद्योगिक वृद्धि दर घटकर 0.1 फीसदी रह गयी जो अर्थव्यवथा में नरमी का एक और संकेत है.

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अप्रैल 2011 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 5.3 फीसदी थी. वित्त मंत्री ने इन आंकड़ों को ‘निराशाजन’ बताते हुए स्थिति से उबरने के लिए सकारात्मक कदम उठाने का संकेत दिया है और माना जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक भी इसी सप्ताह मौद्रिक नीति की अर्ध त्रैमासिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर और नकद आरक्षित अनुपात में कमी कर कारोबार जगत के लिए कर्ज सस्ता बनाने की पहल कर सकता है.

वैसे इस वर्ष मार्च के आंकड़ों से तुलना की जाए तो अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है. मार्च, 2012 में औद्योगिक उत्पादन में एक साल पहले की तुलना में 3.5 प्रतिशत का संकुचन हुआ था. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के ताजा आंकड़ों के अनुसार वैश्विक नरमी और देश की घरेलू मांग में कमी के बीच अप्रैल में पूंजीगत उत्पाद और खनन समेत 22 में से 10 प्रकार के उत्पाद खंडों में उत्पादन में गिरावट दर्ज की गयी.

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वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं निराश हूं. औद्योगिक क्षेत्र ने अभी रफ्तार नहीं पकड़ी है. रुझान नकारात्मक है. हमें कुछ सकारात्मक संकेत देने के लिए कदम उठाना है.’ पूंजीगत उत्पादों का उत्पादन अप्रैल में 16.3 फीसदी घटा जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसमें 6.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई थी. इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि उद्यमियों की नए निवेश में रुचि घट रही है. खनन उत्पादन अप्रैल में 3.1 फीसदी घटा जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसमें 1.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई थी.

औद्योगिक उत्पादन में नरमी के कारण निश्चित तौर पर रिजर्व बैंक पर 18 जून को होने वाली अपनी मध्य तिमाही समीक्षा में ब्याज दर कटौती का दबाव पड़ेगा. आईआईपी का एक और निराशाजनक आंकड़ा अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर है.

सोमवार को वैश्विक एजेंसी एसएंडपी ने भारत को चेतावनी दी थी कि उसकी सावरेन क्रेडिट रेटिंग निवेश श्रेणी से सट्टा श्रेणी में रखी की जा सकती है और भारत विश्व की प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) में निवेश श्रेणी का दर्जा खोने वाला देश हो सकता है. रेटिंग एजेंसी की टिप्पणियों और आईआईपी के निराशाजनक आंकड़ों के बावजूद बंबई शेयर बाजार के 30 प्रमुख शेयरों पर आधारित शेयर सूचकांक सेंसेक्स 195 अंक लाभ में बंद हुआ.

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एसएंडपी की चेतावनी के बारे में मुखर्जी ने कहा, ‘अपने हिसाब से उन्होंने अपनी आशंका पेश की है.. हमने इस पर विचार किया है. हमें अपनी समस्या को खुद सुलझाना होगा और इसके लिए हम आवश्यक कदम उठा रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘बजट में की गई घोषणाओं को असर दिखाने में दो से तीन महीने का समय लगेगा. यह अप्रैल में नजर नहीं आएगा.’

आंकड़े में कहा गया कि इस सूचकांक में 75 फीसदी योगदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मात्र 0.1 फीसदी रही जो अप्रैल 2011 में 5.7 फीसदी थी. हालांकि उपभोक्ता उत्पादों की वृद्धि दर अप्रैल में 5.2 फीसदी रही जो पिछले साल की उसी महीने में 3.2 फीसद थी. टिकाउ उपभोक्ता खंड में अप्रैल के दौरान पांच फीसद का विस्तार हुआ जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसमें 1.6 फीसदी वृद्धि दर्ज हुई थी.

बिजली उत्पादन की वृद्धि दर अप्रैल 2012 के दौरान अपेक्षाकृत कम रही. इस दौरान 4.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई जबकि पिछले साल की समान अवधि में 6.5 फीसदी वृद्धि दर्ज हुई थी. क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा, ‘इस आंकड़े से लगातार गिरावट का संकेत मिलता है. ये आंकड़े उम्मीद से कम हैं.

आरबीआई आगामी नीतिगत समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है.’ इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए एसबीआई की अर्थशास्त्री वृंदा जागीरदार ने कहा, ‘ये आंकड़े उम्मीद से कम हैं. पिछले कुछ महीनों से यह रुझान दिख रहा है. इससे संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में निवेश योजनाओं की कमी होने जा रही है.’

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