खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से सकल मुद्रास्फीति की दर जनवरी माह में घटकर 6.55 प्रतिशत पर आ गई, जो इसका दो साल का निचला स्तर है. महंगाई की दर घटने से संभावना बनी है कि भारतीय रिजर्व बैंक आगामी महीनों में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में 7.47 प्रतिशत के स्तर पर थी. जनवरी, 2011 में यह 9.47 फीसद पर थी. मुद्रास्फीति की यह दर दिसंबर, 2009 के बाद सबसे कम है. उस समय यह 7.15 प्रतिशत पर थी.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि कीमतों में वृद्धि अभी तक स्वीकार्य स्तर पर नहीं आई और इसमें और कमी आनी चाहिए.
मुखर्जी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि इसमें और कमी आनी चाहिए, क्योंकि अभी भी यह स्वीकार्य स्तर पर नहीं है. मुझे उम्मीद है कि इसमें और गिरावट आएगी.’
मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में खाद्य मुद्रास्फीति की दर शून्य से 0.52 प्रतिशत नीचे रही है.
समीक्षाधीन माह में सब्जियों के दाम सालाना आधार पर 43.13 प्रतिशत कम हुए हैं, जबकि गेहूं 3.48 फीसद सस्ता हुआ है. जनवरी में सालाना आधार पर आलू के दाम 23.15 प्रतिशत और प्याज के 75.57 प्रतिशत कम हुए हैं. थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी 14.3 प्रतिशत की है.
विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति जनवरी में सालाना आधार पर 6.49 प्रतिशत रही. इससे पिछले महीने यह 7.41 फीसद के स्तर पर थी. विनिर्मित उत्पादों की महंगाई फरवरी, 2011 से उंचे स्तर पर बनी हुई है. उस समय यह छह प्रतिशत को पार कर गई थी.
विनिर्मित वस्तुओं में लोहा और उसके उत्पाद सालाना आधार पर 18.46 प्रतिशत महंगे हुए. इस दौरान खाद्य तेलों के दाम 9.59 प्रतिशत चढ़े. वहीं तंबाकू उत्पादों के दामों में 9.36 प्रतिशत और मूल धातुओं की कीमतों में 11.99 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
जनवरी में सभी प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई 2.25 प्रतिशत रही, जो दिसंबर में 3.07 फीसद पर थी. गैर खाद्य प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई भी जनवरी में घटकर 0.55 प्रतिशत रह गई, जो इससे पिछले महीने 1.48 प्रतिशत पर थी.
ईंधन और बिजली वर्ग की महंगाई जनवरी में सालाना आधार पर 14.21 प्रतिशत रही, जो दिसंबर में 14.91 फीसद पर थी.
इस बीच, नवंबर 2011 की मुद्रास्फीति को उपर की ओर संशोधित कर 9.46 प्रतिशत कर दिया गया है. इसका शुरुआती अनुमान 9.11 फीसद का था. विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई की दर में कमी के बाद रिजर्व बैंक के पास आगामी महीनों में ब्याज दरों में कटौती का मौका रहेगा. 2010 और 2011 में ज्यादातर समय तक कुल मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत के आसपास बनी रही.
महंगाई पर अंकुश के लिए केंद्रीय बैंक ने मार्च, 2010 से अक्तूबर, 2011 के दौरान ब्याज दरों में 13 बार कुल 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी.