टेस्ट और वनडे श्रृंखला में सफाये के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा है कि खिलाड़ियों की चोटों और किस्मत का साथ नहीं मिलने से उनकी टीम को इंग्लैंड दौरे पर यह हश्र झेलना पड़ा.
कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी पर विशेष कवरेज
भारत को चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 0-4 और पांच वनडे मैचों की श्रृंखला में 0-3 से पराजय झेलनी पड़ी. धोनी ने पांचवां और आखिरी वनडे डकवर्थ लुईस प्रणाली के आधार पर हारने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘मैने पिछले पांच साल में इतनी चोटें नहीं देखी. करीब नौ से 11 खिलाड़ी एक श्रृंखला में चोटिल हो गए.
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वनडे श्रृंखला में किस्मत ने हमारा साथ नहीं दिया.’ उन्होंने कहा, ‘पहले दो टेस्ट में सिर्फ तीन गेंदबाज हमारे पास थे. गेंदबाजी कमजोर होने का दबाव बल्लेबाजों पर पड़ता है. सिर्फ एक विभाग के दम पर लगातार अच्छा नहीं खेला जा सकता.’
धोनी ने कहा, ‘यदि पहले टेस्ट में जहीर होता तो हमें दूसरी पारी में फायदा मिलता. हालात ही अलग होते. वैसे अहम यह है कि हमने क्या किया. जो हो गया, उस पर दुखी होने से कोई फायदा नहीं.’ भारतीय कप्तान ने हालांकि कहा कि अगले महीने पांच वनडे मैचों के लिये इंग्लैंड की टीम जब भारत आयेगी तो उनके जेहन में बदले जैसी कोई बात नहीं होगी.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं सोचना चाहिये. यदि दिमाग में बदले की बात होगी तो आप छटपटाने लगेंगे और पूरी टीम पर दबाव बनेगा. बेसिक्स पर ध्यान देना जरूरी है.’ धोनी ने कहा, ‘हमें यह भी देखना है कि चोटों के शिकार हुए कितने खिलाड़ी फिट हो चुके हैं और चयन के लिये उपलब्ध हैं.’
यह पूछने पर कि क्या वे खिलाड़ी बिना कोई मैच खेले ही टीम में लौट आयेंगे, भारतीय कप्तान ने कहा, ‘यह कठिन है लेकिन हमें देखना होगा कि चोट कैसी है.’ उन्होंने कहा, ‘कुछ मैच खेलकर आना अच्छा होगा लेकिन यह कठिन है क्योंकि टीम में अनुभव की जरूरत है. संतुलन जरूरी है. गेंदबाजी पूरी तरह नयी होने से काम नहीं चलेगा.’
पांचवें और आखिरी मैच में हार के लिये धोनी ने हालात और तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल की चोट को कारण बताया. उन्होंने कहा, ‘चार ओवर के बाद मुनाफ के घायल होने से हमारी लय टूट गई. गेंद भी नम हो गई थी. पांचवीं बार हम टॉस हारे थे और स्पिनरों के लिये बड़ा मुश्किल हो गया था.’
धोनी ने यह भी कहा कि अभ्यास मैच आधिकारिक कार्यक्रम का हिस्सा नहीं होने चाहिये जिसमें सिर्फ 11 खिलाड़ी खेल सकें. उन्होंने कहा, ‘हम अभ्यास मैचों का सही इस्तेमाल नहीं कर सके. पहला मैच आधिकारिक था जिसमें 11 से अधिक खिलाड़ी नहीं खेल सकते थे. टेस्ट मैच से ठीक पहले खिलाड़ियों को 90 ओवर मैदान पर रहना पड़ा. दूसरा अभ्यास मैच भी ऐसा ही था.’